तीन महीने से काम बंद : कुवैत में रहने और खाने की परेशानियों से जूझकर कामगार मजदूर लौटे अपने वतन
जयपुर, 7 जून। कोरोना वैश्विक महामारी ने देश-विदेश में
समाज के हर तबके को प्रभावित किया है। लेकिन इस महामारी का सबसे ज्यादा बुरा असर उन
कामगार मजदूरों पर पड़ा है जो अपना घर और गांव छोड़कर देश के विभिन्न शहरों में तथा विदेशों
में रोटी- रोजी कमाने गए थे और जो मजदूरी करके ही अपने घर परिवार का पालन पोषण करते
थे। कोरोना की वजह से अपनी रोटी रोजी खो चुके कुवैत से शनिवार रात को दिल्ली एयरपोर्ट
पहुंचे 75 प्रवासी राजस्थानी कामगार मजदूरों की दुखद
कहानी भी कुछ कम नहीं है। कामगार मजदूरों के दल में शामिल चूरू के कैलाश सारण ने बताया
कि वह अपने परिवार को छोड़कर एक वर्ष पहले कुवैत गए थे वहां एक कंपनी में जाकर मजदूरी
करने लगे लेकिन 3 महीने पहले कोरोना महामारी के चलते कंपनी
में काम बंद हो गया तथा पूरा वेतन भी नहीं मिला, लेकिन
पहले से उनके दो भाई भी वहीं पर दूसरी जगह मजदूरी कर रहे थे तो किसी तरह से मिलकर रहने
और खाने की व्यवस्था की,
लेकिन अब हमारे पास घर
वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मजदूरों में शामिल प्रतापगढ़ के राजमल चौधरी
ने बताया कि गांव में अपने बच्चों को छोड़कर 6 महीने
पहले मैं कुवैत काम की तलाश में गया था लेकिन पिछले 2 महीने से काम बंद हो गया तथा इतनी कमाई भी
नहीं की जिससे वहां रहने और खाने की व्यवस्था की जा सके इसी बीच प्रतापगढ़ में मेरी
अम्मी की मौत हो गई तथा घर में अकेला होने के कारण मुझे वापस लौटना पड़ा है अब हमारे
पास दिल्ली में खुद के पैसों से क्वॉरेंटाइन में रहने की सामर्थ नहीं है इसलिए राजस्थान
सरकार ने हमें बसों से अपने शहरों तक पहुंचाने में मदद की है, इसके लिए हम मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत
का दिल से धन्यवाद करना चाहते हैं कि उन्होंने हमारी पीड़ा को समझा और कुवैत से दिल्ली
एयरपोर्ट पहुंचने के बाद हमारी मांग के अनुसार हमें गृह राज्य पहुंचाया जा रहा है।
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