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खेती से युवाओं का मोह भंग ना होने दें, प्राकृतिक खेती के सिद्धान्तों को अपनायें, किसानों की आय दोगुनी करने वाले शोध करें -राज्यपाल

कोविड 19 के बदलते परिदृश्य के तहत कृषि शिक्षा प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए रणनीति पर वेबिनार

जयपुर, 26 जून। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि गांव उठेगा तो देश उठेगा। उन्होंने कहा कि हमारी सोच खाद्य सुरक्षा के साथ किसान की आय को दोगुनी करने वाली भी होनी चाहिए। श्री मिश्र ने कहा कि कृषि में प्राकृतिक खेती के सिद्धान्तों को अपनायें। कृषि वैज्ञानिक किसानों की आयु दोगुनी करने वाले शोध करें।

राज्यपाल ने कहा कि यह देखने में रहा है कि खेती से युवाओं का मोह भंग हो रहा है। युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करने के लिए कृषि एवं कृषि आधारित उद्यमों के लिए कौशल विकास के पाठ्यक्रम आरम्भ करने की आवश्यकता है। साथ ही मानव मूल्यों की अवधारणा स्थापित किये जाने के लिए पाठ्यक्रमों में यथा स्थान परिवर्तन करना होगा ताकि युवा, उद्यमी बनने के साथ-साथ उच्च कोटि के कृषि वैज्ञानिक भी बन सके।

राज्यपाल श्री मिश्र शुक्रवार को राजभवन से कोविड-19 के बदलते परिदृश्य के तहत कृषि शिक्षा प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए रणनीति पर आयोजित वेबिनार को वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे। इस वेबिनार का आयोजन बीकानेर के स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। राज्यपाल श्री मिश्र इस वेबिनार के मुख्य अतिथि थे। राज्यपाल ने इस मौके पर कृषि मार्गदर्शिका 2020-21 का विमोचन किया। राज्यपाल श्री मिश्र ने समन्वित कृषि प्रणाली इकाई का भी उद्घाटन किया। इस वेबिनार से प्रदेश के दो हजार से अधिक कृषि वैज्ञानिक और छात्र-छात्राएं जुडीं।

राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में सस्ती और टिकाऊ खेती ही अंतिम विकल्प है। हमें अपनी परम्परागत कृषि विधियों की ओर लौटना होगा। उनके साथ नवीन कृषि प्रौद्योगिकी का इस तरह से समावेश करना होगा कि खेती की लागत कम हो सके। प्राकृतिक खेती के सिद्धान्तों को अपनाना होगा, जिससे लागत कम हो और मुनाफा अधिक हो, तब ही सही मायनों में हम कृषि को आजीविका का सर्वोत्तम आधार बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान पानी का उपयोग सावधानी से करें तथा कृषि वैज्ञानिक कम पानी के उपयोग से अधिक उत्पादन करने वाली जिंसों एवं तकनीक का विकास करने के लिए शोध करें। श्री मिश्र का मानना था कि कृषि उत्पादन बढ़ाने में उन्नत बीज एवं उन्नत तकनीक का विशेष महत्व है। आवश्यकता इस बात की है कि तकनीक का स्थानान्तरण त्वरित गति से, लेकिन किसानों के समझने योग्य तरीके से हो। राज्यपाल ने कहा कि कृषि शिक्षा एक महत्वपूर्ण आयाम है। कृषि क्षेत्र के विद्यार्थी आगे चलकर कृषि वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा करते हैं। किसानों को नई-नई तकनीक देकर देश में उत्पादन एवं गुणवत्ता वृद्धि में वैज्ञानिकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है।

राज्यपाल ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने पूरी दुनिया की गति रोक दी है। विश्व के लगभग सभी देश इससे प्रभावित हुए हैं। उद्योग-धंधों और रोजगार पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है। इसने शिक्षा प्रणाली को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। विद्यालयी स्तर की अनेक कक्षाओं के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा क्रमोन्नत करना पड़ा है। उच्च शिक्षा की परीक्षाएं भी इससे प्रभावित हुई हैं। नया सत्र भी सामान्य स्थितियों की तुलना में विलम्ब से शुरू होगा। उन्होंने कहा कि ऎसी परिस्थितियों में हमें शिक्षा प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए पुनर्विचार करने की जरूरत है।

वेबिनार में स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह ने किया। कुलपति ने वेबिनार की जानकारी दी और विश्वविद्यालय द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया। प्रो. एन. के. शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल भी मौजूद थे।

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