प्रकृति से सामजंस्य बिठाये, विकास की राह पर आगे बढे़ - राज्यपाल
जयपुर, 5 जून। राज्यपाल एवं
कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि प्रकृति से सामजंस्य बिठाते हुए ही विकास
की राह पर हमें आगे बढना होगा। उन्होंने कहा कि यदि ऎसा नही करेंगे तो प्रकृति
अपने दम पर सुधार करेगी और तब हमें प्रकृति का रौद्र रूप दिखाई देगा, जैसा इस समय कोविड-19 के दौर में हो रहा
है। श्री मिश्र ने कहा कि वर्तमान में चल रही वैश्विक महामारी कोविड-19 यह समझाने के लिए
पर्याप्त है कि हमें प्रकृति की शरण में, प्रकृति के नियमों के
अनुसार ही विकास के नए मार्ग तलाशने होंगे।
राज्यपाल श्री मिश्र ने शुक्रवार को
विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रदेश के इंजिनियरिंग कॉलेजों के प्राचार्यों, प्राध्यापकों और
विद्यार्थियों को राजभवन से ही विडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से सम्बोधित किया।
ग्रीन बिल्डिंग से सतत विकास विशयक वेबिनार का आयोजन राजस्थान तकनीकी
विश्वविद्यालय कोटा एवं इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउसिंल के संयुक्त तत्वावधान में
हुआ। राज्यपाल श्री मिश्र इस वेबिनार के मुख्य अतिथि थे।
राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण को मनुष्य
केवल स्वयं के अस्तित्व से जोड़कर न देखे। उन्होंने कहा कि मानवता के अस्तित्व के
साथ सभी पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को भी धरती पर रहने का अधिकार है। श्री मिश्र ने
कहा कि यही सहअस्तित्व हमारे पौराणिक ग्रंथों और वैदिक संस्कृति का सार भी है।
हमारे ऋषि-मुनियों ने जनमानस को सह अस्तित्व का सिद्धांत समझाने के लिए ही प्रकृति
को पूजनीय बनाया।
गांव को बनाये
आत्मनिर्भर तो बिना घर छोड़े मिलेगा रोजगार
राज्यपाल ने कहा कि अपनी जमीन से जुड़े
रहकर गांव में ही सभी का विकास हो सके, ऎसा प्रयास करना
होगा। अपने गांव में अपने लोगों में बैठकर स्वयं विकास की अवधारणा जब मूर्त रूप
लेने लगेगी,
तो
व्यक्ति प्रदूषण के बारे में जागरूक होगा तथा सतत विकास की ओर भी उन्मुख होगा।
राज्यपाल ने कहा कि गांव के संसाधन वही के क्षेत्र के विकास में भागीदार होंगे।
श्री मिश्र ने जोर देकर कहा कि तब ही किसानों एवं मजदूरों को बिना घर छोड़े रोजगार
मिलेगा। प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों को वह सीधा ही महसूस करेगा तथा स्थानीय
स्तर पर समाधान भी खोजेगा। इससे लोकल ही वोकल बनेगा, जिसकी पहचान वैश्विक
स्तर पर भी बनेगी।
श्री मिश्र ने कहा कि कोविड-19 महामारी मे हमने देखा
कि बड़ी संख्या में कामगारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण
ग्रामीण भारत में रोजगारोन्मुखी व्यवस्थाओं का अभाव है। हमारे बहुत से मजदूर और
कामगार बड़े शहरों में प्रदूषण में रहने को मजबूर हो जाते हैं। इस समस्या के समाधान
के लिए प्रत्येक गांव को एक इकाई मानते हुए आत्मनिर्भर बनाना, विकास का संशोधित
मण्डल हो सकता है।
रासायनिक प्रदूषण
जीवन के लिए खतरा
राज्यपाल ने कहा कि आज के विश्व में
बायो वेस्ट,
न्यूक्लियर
वेस्ट एवं ई वेस्ट का निस्तारण अलग तरह की समस्या बनती जा रही है। इसके समाधान के
लिए वैज्ञानिकों को निरंतर प्रयास करना होगा। बढ़ता हुआ ध्वनि प्रदूषण भी एक बड़ी
समस्या है। उन्होंने कहा कि ‘‘ मैं एक अन्य खतरे की और आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा, वह है रासायनिक
प्रदूषण। खेतों में बढ़ते रासायनिक पदार्थों के उपयोग से कैंसर जैसी खतरनाक
बीमारियों के होने से अब हमें पुनः अपने मूल की ओर लौटने की आवश्यकता है। इसके लिए
हमें ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना होगा तथा संसाधनों के समुचित प्रयोग से रासायनिक
खेती के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करना होगा।
प्लास्टिक विकराल
समस्या
श्री मिश्र ने कहा कि अब से 50 वर्ष पूर्व प्लास्टिक, एक वरदान के रूप में
अवतरित हुआ था। प्लास्टिक का बिना सोचे किये गये उपयोग ने विकराल समस्या का रूप ले
लिया है। उन्होंने कहा कि धरती, जल एवं वायु सभी प्लास्टिक के दुरुपयोग से कराह रहे हैं।
प्लास्टिक के कारण होने वाले प्रदूषण को हर हाल में रोकना होगा।
यातायात में नवचार से
रूकेगा प्रदूषण
राज्यपाल ने कहा कि यातायात के क्षेत्र
में भी नवाचार की आवश्यकता है। तेल क्षेत्र में हमें अत्यधिक आयात करना होता है, जिससे विदेशी मुद्रा
का नुकसान होता है। यातायात के क्षेत्र में नवाचार करने से तेल के आयात को कम किया
जा सकता है। इससे आर्थिक लाभ तो होगा ही, वायु प्रदूषण पर भी
अंकुश लगाया जा सकेगा। इससे हमें शुद्ध वायु मिलेगी, जो जीवनदायिनी होगी।
कृषि भूमि के
रूपांतरण को कम किया जाये
राज्यपाल ने कहा कि शहरों में भूमि
लगातार कम पड़ रही है, तो कृषि भूमि का अधिग्रहण करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि
सीमित दायरे में कृषि भूमि के रूपांतरण को कम किया जा सकता है। इससे भविष्य में
खाने की समस्या से जूझने में सहायता मिल सकती है। निश्चित ही यह एक महत्वपूर्ण कदम
है,
जिसे
अपनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बनने वाले सभी भवन इस प्रकार बनाए
जाएं कि ऊर्जा खपत न्यूनतम हो और ऊर्जा दक्षता अधिकतम हो। तब ही विकास के सोपान को
सीधे जनता तक पहुंचाया जा सकता है।
सतत विकास के लिए
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों का उपयोग आवश्यक
राज्यपाल ने कहा कि सतत विकास के लिए
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों का उपयोग आज की महती आवश्यकता है। सौर ऊर्जा में
भारत एवं प्रदेश के बढ़ते कदम ऊर्जा के क्षेत्र में हमें आत्मनिर्भर बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गैर पारंपरिक स्रोतों से ऊर्जा के उपयोग से ग्रामीण क्षेत्र में
ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। इसी तरह जहां भी संभव हो पवन ऊर्जा का
भी उपयोग किया जाना चाहिए।
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