सहकारी समितियों में कोल्ड़ स्टोरेज, गोदाम एवं प्रोसेसिंग यूनिट की होगी स्थापना
- 20 लाख किसानों को 6 हजार करोड़ का सहकारी
फसली ऋण वितरित
- सभी सहकारी
समितियों का 31 जुलाई तक डेटा होगा ऑनलाइन
- उपज रहन ऋण योजना
में और किसानों को जोड़ा जाएगा
जयपुर, 17 जून। प्रमुख शासन
सचिव,
सहकारिता
श्री नरेश पाल गंगवार ने कहा कि क्रय विक्रय सहकारी समितियों एवं ग्राम सेवा
सहकारी समितियों में कोल्ड स्टोरेज, गोदाम निर्माण, प्रोसेसिंग यूनिट
सहित कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियों के लिए संयत्रों की स्थापना की जाएगी। उन्होंने
कहा कि समिति एवं क्षेत्रवार स्थितियों का आंकलन कर उपयोगिता के आधार पर प्रस्ताव
प्राप्त किये जाएंगे ताकि कृषि गतिविधियों की चेन सप्लाई सिस्टम को विकसित किया जा
सके।
श्री गंगवार बुधवार को पंत कृषि भवन में
कृषि प्रसंस्करण,
खरीफ
फसली ऋण,
उपज
रहन ऋण योजना,
एमएसपी
पर सरसों एवं चना खरीद सहित अन्य बिन्दुओं पर जिला स्तर पर पदस्थापित अधिकारियों
से वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान
सहकारी अधिनियम 2001, राजस्थान सोसायटी
रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1958 तथा स्पोर्ट््स एक्ट के तहत पंजीकृत
संस्थाओं का डेटा 31 जुलाई तक ऑनलाइन कर दिया जाये। जिससे पारदर्शिता के साथ सूचनाऐं
आमजन को मिल सकें एवं बेहतर मॉनिटरिंग भी संभव हो सके। उन्होंने निर्देश दिए कि
जिला उप रजिस्ट्रार प्राथमिकता के साथ इस कार्य को पूरा करें।
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि फसली ऋण
वितरण में ऑनलाइन प्रणाली अपनाने से अच्छे रिजल्ट आए हैं। इस प्रणाली के कारण दो
माह में ही लगभग 20
लाख
किसानों को 6
हजार
18
करोड़
रूपये का खरीफ फसली ऋण का वितरण किसानों को हो चुका है। उन्होंने निर्देश दिए कि
नए किसानों को भी फसली ऋण प्रदान किया जाये तथा जो जिले अपने यहां फसली ऋण के लिए
और नए किसानों को जोड़ना चाहते हैं, वे प्रस्ताव भेजें तो
उन्हें अनुमति प्रदान की जाएगी।
उन्होंने 50 प्रतिशत से कम ऋण
वितरण वाले 5
जिलों
के प्रबंध निदेशकों को सख्त लहजे में कहा कि 30 जून तक पर्फोमेंस सुधारें
अन्यथा अनुशासत्मक कार्यवाही के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि फसली ऋण वितरण के
दौरान कोविड़-19
गाइडलाइन
का पालन करें।
उन्होंने कहा कि उपज रहन ऋण योजना में
पात्र सहकारी समितियों को सक्रिय करें तथा योजना से और किसानों को जोड़े। उन्होंने
निर्देश दिए कि 30
जून
तक पात्र समिति कम से कम एक किसान को उपज रहन ऋण प्रदान करे ताकि आने वाली सीजन
में किसानों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों को गौण मंडी का
दर्जा देने से किसानों एवं समितियों को फायदा हुआ है। इसे स्थायित्व दिया जाए।
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि योजनाओं की
जिलेवार बेहतर मॉनिटरिंग के लिए विभाग में पदस्थापित अधिकारियों को रिव्यू के लिए
जिलों में भेजा जाएगा। उन्होंने खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार को भी निर्देश दिए कि
जिला अनुसार रिव्यू करें। श्री गंगवार ने कहा कि एमएसपी पर चना खरीद के भारत सरकार
द्वारा आवंटित लक्ष्य को पूरा करें ताकि अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके।
प्रबंध निदेशक राजफैड, श्रीमती सुषमा अरोड़ा
ने कहा कि 2
लाख
91
हजार
936
किसानों
से सरसों एवं चना की 7 लाख 36 हजार 186 मीट्रिक टन उपज खरीदी गई है। जिसकी राशि
3
हजार
452
करोड़
रूपये है। उन्होंने कहा कि बाजार में सरसों के भाव एमएसपी से ऊपर होने की वजह से
खरीद केन्द्रों पर आवक कम है। जबकि चना की आवक ज्यादा है। उन्होंने निर्देश दिए कि
उपज का समय पर उठाव करें एवं ईडब्लयूआर समय पर जनरेट करें। एफएक्यू मानक से खरीद
नही होने पर संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
अतिरिक्त रजिस्ट्रार (प्रथम) श्रीमती
रश्मि गुप्ता ने कहा कि जो भी सहकारी समितियां अपने कार्य क्षेत्र में किसी प्रकार
का नवाचार करना चाहती हैं या कृषि एवं कृषि उत्पादन से जुडी गतिविधियों के लिए चेन
सप्लाई सिस्टम विकसित करना चाहती हैं तो इससे संबंधित प्रस्ताव विभाग को शीघ्र
भिजवायें ताकि सरकार द्वारा जुडी योजनाओं का लाभ इन्हें मिल सके।
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