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माइनिंग सेक्टर में रोजगार की अपार सम्भावनाएँ, राजस्थान राज्य आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय में माइनिंग इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स शुरू - डॉ. एल.के.पंवार

जयपुर, 12 जून। राजस्थान राज्य आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ललित के. पंवार ने बताया है कि राजस्थान में 'माइनिंग सेक्टर' में रोजगार की अपार सम्भावनाएँ है जिनके लिए प्रशिक्षित युवकों की आवश्यकता है। रोजगार की इन्हीं विपुल सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय नये शैक्षणिक सत्र से 'माइनिंग इंजीनियरिंग' में एडवांस डिप्लोमा कोर्स प्रारम्भ करेगा।

डॉ. पंवार ने बताया कि राजस्थान में 25 हजार से अधिक माइन्स है जिनमें प्रशिक्षित ब्लास्टर, फॉरमैन, माइनिंग मेट, फस्र्ट व सैंकड़ क्लास माइन्स मैनेंजर की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सुरक्षित व वैज्ञानिक तरीके से माइनिंग करने के लिए इन प्रशिक्षित व्यक्तियों का होना जरूरी है परन्तु वर्तमान में अधिकांश माइन्स में प्रशिक्षित व्यक्ति उपलब्ध नहीं है।

उन्होंने बताया कि नये शैक्षणिक सत्र से इस विश्वविद्यालय द्वारा माइनिंग इंजीनियरिंग में 2 वर्षीय एडवांस डिप्लोमा कोर्स प्रारम्भ करने की स्वीकृति दी है। माइनिंग के क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षण संस्थान इसके लिए विश्वविद्यालय से सम्बद्धता ले सकेगें।

डॉ. पंवार ने 'माइनिंग इंजीनियरिंग' क्षेत्र में कौशल क्षमताओं को आगे लाने और एडवांस डिप्लोमा कोर्स को तैयार करने के लिए भारत सरकार के सेवानिवृत्त डायरेक्टर माइन्स सैफ्टी श्री दिलीप कुमार सक्सेना विश्वविद्यालय को 'माइनिंग इंजीनियरिंग स्किल्स डीन' मनोनीत किया है। श्री सक्सेना अवैतनिक तौर पर आगामी 2 वर्ष तक डीन के रूप में कार्य करेंगे। डॉ. पंवार जो स्वयं राजस्थान में माइनिंग सेक्रेटरी के रूप में कार्य कर चुके हैं, ने बताया कि माइनिंग सैक्टर में 10 से 15 हजार युवकों को इस क्षेत्र में रोजगार मिल सकता है।

इस अवसर पर डीन श्री सक्सेना ने बताया कि 10+2 शिक्षा प्राप्त कोई भी विद्यार्थी 2 वर्षीय एडवांस डिप्लोमा इन 'माइनिंग इंजीनियरिंग' में कर सकता है। उन्होंने बताया कि खान सुरक्षा महानिदेशालय, भारत सरकार तथा राजस्थान सरकार के MMCR कानून के तहत प्रत्येक माइन्स में सुरक्षात्मक माइन्स के लिए माइनिंग मेट, मैनेंजर, सुपरवाईजर आदि का होना जरूरी है।

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