फिक्की का वेबिनार : उद्योगों की वित्तीय जरुरतों को पूरा करने के लिए माइण्ड सेट और कार्यप्रणाली में बदलाव के साथ बैंक आगे आएं - उद्योग मंत्री
जयपुर, 26 जून। उद्योग
मंत्री श्री
परसादी लाल
मीणा ने
बैंकों से
कार्यप्रणाली में
बदलाव लाते
हुए उद्योगों
की वित
पोषण व्यवस्था
को पारदर्शी
और उदार
बनाने को
कहा है।
उन्होंने कहा
कि जिस
तरह से
राजस्थान सरकार
ने उद्योगों
की स्थापना
के लिए
पोर्टल पर
दो मिनट
में पावती
पर तीन
साल के
लिए अनुमतियों
व निरीक्षणों
से मुक्त
किया है
बैंकों को
भी एमएसएमई
उद्योगों को
ऋण वितरण
की इसी तरह
की उदार
नीति अपनानी
होगी। उन्होंने कहा
कि सूक्ष्म, लघु और
मंझोले उद्योग
अर्थव्ववस्था की
रीढ़ है
और संकट
के इस
दौर में
सरकार के
साथ ही
बैंकों को
सकारात्मक सोच
के साथ
समय पर
आसानी से
वित्तीय जरुरतों
को पूरा
कराने के
लिए आगे
आना होगा।
श्री
मीणा शुक्रवार
को फिक्की
द्वारा 'रिवाइटलाइजिंग एमएसएमई
फॉर आत्म
निर्भर राजस्थान'
विषय
पर आयोजित
वर्च्युअल कॉफ्रेंस
को संबोधित
कर रहे
थे। उन्होंने
कहा कि
राजस्थान की
सरकार ने
उद्यमियों की
समस्याओं व
कठिनाइयों को
समझते हुए
निराकरण के
ठोस प्रयास
किए हैं।
उन्होंने राजस्थान
के उद्योगपतियों
से राज्य
में ही
औद्योगिक निवेश
का आह्वान
किया।
उद्योग
मंत्री ने
बताया कि
लॉकडाउन के
दौरान भी
हमारी सरकार
ने प्रदेश
में योजनावद्ध
व चरणवद्ध
तरीके से
उद्योगों को
शुरु करने
के ठोस
प्रयास किए
यही कारण
है अन्य
प्रदेशों की
तुलना में
राजस्थान में
उद्योग धंघे
पटरी पर
आ सकें।
उन्होंने बताया
कि औद्योगिक
विकास हमारी
प्राथमिकता रही
है यही
कारण है
कि नई
उद्योग नीति
के साथ
ही निवेश
प्रोत्साहन योजना
में अन्य
राज्यों से
बेहतर सुविधा
दी जा
रही है
यहां तक
कि एसजीएसटी
में 75 से
100
प्रतिशत तक
की छूट
दी जा
रही है।
रीको के
भूखण्डों की
कीमत में
25
प्रतिशत तक
की कमी
की है।
श्री
मीणा ने
कहा कि
मुख्यमंत्री श्री
अशोक गहलोत
की उद्योगों
के प्रति
संवेदनशीलता का
ही परिणाम
रहा कि
केन्द्र के
पैकेज घोषणा
के साथ
ही प्रदेश
में टास्क
फोर्स का
गठन किया
और सीमित
समय में
ही अपनी
अंतरिम रिपोर्ट
दे दी।
उन्होंने बताया
कि केन्द्र
के पैकेज
पर अभी
सभी गाइड
लाईनें जारी
नहीं होने
के कारण
टास्क फोर्स
को अंतरिम
रिपोर्ट देनी
पड़ी। उन्होंने कहा
कि राज्य
सरकार बिजली
के फिक्स
चार्ज में
छूट, नए
निवेश को
बढ़ावा देने, मुख्यमंत्री उद्यम
प्रोत्साहन योजना
में 10 करोड़
तक का
ऋण 5, 6 और
8
प्रतिशत तक
ब्याज अनुदान
दिया जा
रहा है।
इसके लिए
250
करोड़ रुपये
का प्रावधान
किया गया
है। निर्यात
को बढ़ावा
देने के
लिए पहलीवार
निर्यात संवर्धन परिषद
बनाई गई
है।
राजस्थान
चेंबर ऑफ
कॉमर्स के
मानद महासचिव
डॉ. के.एल. जैन
ने बैंकों व
जिला उद्योग
केन्द्रों के
बीच बेहतर
समन्वय की
आवश्यकता बताते
हुए रोजगार
मेलों की
तर्ज पर
ऋण मेलों
के आयोजन
का सुझाव
दिया। उन्होंने
कहा कि
प्रदेश में
एमएसएमई को
विदेशों से
आयात होने
वाले वस्तुओं
क उत्पादन
के लिए
प्रोत्साहित करने
को कहा।
फैडरेशन
ऑफ राजस्थान
एक्सपोर्टर्स के
अध्यक्ष श्री
राजीव अरोड़ा
ने कहा
कि लॉकडाउन
के दौरान
जिस तरह
से प्रदेश
में उद्योगों
को प्रोत्साहित
किया उसकी
समूचे देश
में सराहना
की जा
रही है।
उन्होंने बताया कि
अनेक प्रदेशों
में अभी
तक जेम
ज्वैलरी उद्योगों
में काम
तक शुरु
नहीं हो
सका है।
उन्होंने बताया
कि आईआईजेजे
द्वारा जेम
ज्यूलरी की
प्रशिक्षण देने
को तैयार
है। आत्मनिर्भर
भारत या
राजस्थान की
चर्चा करते
हुए उन्होंने
कहा कि
आर एण्ड
पर खास
ध्यान देना
होगा। श्री
अरोड़ा ने
कहा कि
आज दुनिया
के देशों
में चीन
का विरोध
है और
इसका लाभ उठाने
के लिए
हमें आयात-निर्यात
नीति को
अधिक अनुकूल
बनाना होगा।
वेबिनार
में रिसर्जेट
इण्डिया के
डायरेक्टर श्री
केके गुप्ता
ने बैंकों
से रिपेमेंट
शिड्यूल को
रिस्ट्रक्चर करने
और उद्योगों
को अतिरिक्त
वित्तीय संसाधन
उपलब्ध कराने
को कहा।
एसबीआई के
महाप्रबंधक श्री
गोविन्द सिंह
रावत ने
बताया कि
एमएसएमई को
वित पोषण
के लिए
रिजनल ऑफिसों
में अलग
से एजीएम
स्तर के
अधिकारी को
लगाया गया
है। 1100 करोड़
रु. के ऋण
स्वीकृति के
साथ ही
800
करोड़ रुपये
का ऋण
वितरण किया
जा चुका
है। राष्ट्रीय
लघु उद्योग
निगम के
क्षेत्रीय महाप्रबंधक
श्री प्रभात
कुमार झा
ने समूचे
देश में
एमएसएमई उद्योगों
को शुरु
कराने में
राजस्थान ने
सबसे पहले
पहल की।
फिक्की एमएसएमई सब कमेटी के चेयरमेन और ईएआर के अध्यक्ष श्री एन.के. जैन ने स्वागत करते हुए कहा कि बदली परिसिथतियों में राजस्थान में निवेश बढ़ाने का बड़ा अवसर आया है। एमएसएमई सेक्टर को गति देने की आवश्यकता है वहीं उन्होंने टास्क फोर्स के सुझावों को जल्दी लागू करने का आग्रह किया।
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