उद्यमों के लिए गठित टास्क फोर्स द्वारा अंतरिम रिपोर्ट पेश, रिप्स सहायता, एमएसएमई, टेक्सटाइल और पर्यटन सेक्टर पर विशेष जोर के साथ ही विद्युत लागत शुल्क में राहत प्रस्तावित
जयपुर, 11 जून।
उद्यमों के लिए गठित टास्क फोर्स द्वारा पेश अंतरिम रिपोर्ट में सूक्ष्म, लघु, मध्य
एवं उद्योगों सहित सभी उद्योगों को विभिन्न योजनाओ में 700 करोड़ की बड़ी राहत प्रदान करने की अनुशंषाएं
प्रस्तुत की है। टास्क फोस ने टेक्सटाइल उद्योग को प्रोत्साहन, रीको व आरएफसी की ऋण किश्तों में ब्याज छूट
व समयावधि बढ़ोतरी, उद्योगों के विद्युत शुल्क की माफी सहित
राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना के लाभ का दायरा बढ़ाते हुए पर्यटन क्षेत्र को भी राहत, राज्य जीएसटी में छूट, पर्यटक इकाइयों के कर्मियों, गाइड़ों एवं महावतों को तीन माह का निर्वाह
भत्ता, उद्योगों के लंबित भुगतान के निस्तारण हेतु
चार के स्थान पर 9 सुविधा परिषदों का गठन, एमएसएमई इकाइयों के समयवद्ध भुगतान की मोनेटरिंग, सरकारी खरीद प्रावधानों की क्रियान्विति
सुनिश्चिती, सिंगल विण्डों सिस्टम को प्रभावी बनान के
प्रस्ताव दिये हैं। इसके साथ ही
मुख्यमंत्री लघु उद्यम
प्रोत्साहन योजना में अनुदानित ब्याज पर आधे प्रतिशत अनुदान की बढ़ोतरी, 10 एकड़ तक कृषि भूमि के औद्योगिक उपयोग के लिए
भू संपरिवर्तन की छूट सहित प्रदेश के उद्योग जगत को बड़ा संबल देने लिए टास्क फोर्स
ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में अनेक महत्वपूर्ण अनुशंषाएं की है। टास्क फोर्स ने अपनी
अनुशंषाओं में नए निवेश को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई इकाइयों की ही तरह बड़े उद्योगों
की स्थापना भी आसान करते हुए उद्यमों के आरंभिक वर्षो में राज्य के विभिन्न एक्टों
के तहत प्राप्त की जाने वाली स्वीकृतियों और निरीक्षणों से मुक्त करने का प्रस्ताव
भी दिया है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा मई
माह में घोषित पैकेज को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की एमएसएमई इकाइयों को अधिकाधिक
लाभ दिलाने के उद््देश्य से राज्य सरकार ने 2 जून
को अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का
गठन किया गया था। इस टास्क फोर्स के प्रमुख शासन सचिव पर्यटन श्रीमती श्रेया गुहा, प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास श्री भास्कर
ए सावंत, प्रबंध निदेशक रीको श्री आशुतोष पेडनेकर, आयुक्त कृषि डॉ. ओम प्रकाश, आयुक्त उद्योग श्री मुक्तानन्द अग्रवाल तथा
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के प्रतिनिधि सदस्य है। केन्द्र सरकार द्वारा घोषित पैकेज
के 20 हजार करोड़ के अधीनस्थ ऋण, 50 हजार करोड़ रु. का अशपूंजी संचार और एमएसएमई
सेक्टर में ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए नए कदम उठाने के संबंध में अभी तक भी दिशा-निर्देश
जारी नहीं होने के कारण राज्य सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स द्वारा मुख्य सचिव को
अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग और एमएसएमई टास्क
फोर्स के अध्यक्ष डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना मेंइकाईयों
के लंबित अनुदान की राशि का भुगतान आगामी 2 माह
में करने पर अतिरिक्त 600
करोड़ रूपये का भार पड़ेगा।
इसमें 400 करोड़ रूपये वाणिज्यिक कर विभाग को पात्र
इकाईयों के निवेश व रोजगार सृजन अनुदान और 175 करोड़
रूपये उद्योग विभाग को पात्र इकाईयों के नकद अनुदान के भुगतान का भार पड़ेगा। टेक्सटाईल
क्षेत्र की वर्तमान में पात्र इकाईयां के लंबित ब्याज अनुदान की राशि का भुगतान आगामी
2 माह में करने पर 125 करोड़ रु. का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।
राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2003,
2010, 2014, 2019 के
अन्तर्गत लाभ अवधि में वृद्धि,
कस्टमाईज्ड पैकेज में
शिथिलता, टेक्सटाईल एवं अन्य उद्योगों हेतु विशेष
पैकेज एवं त्वरित भुगतान किया जाएगा। रिप्स में कस्टमाइज पैकेज के लिए न्यूनतम निवेश
और रोजगार सीमा को कम करते हुए न्यूनतम निवेश 50 करोड़
रु. और 100 व्यक्तियों को रोजगार पर देय प्रस्तावित
है। इसी तरह से सिंगल विण्डों सिस्टम के तहत विभिन्न स्वीकृतियों के लिए निर्धारित
समय सीमा को 7 से 15 दिवस
करने का प्रस्ताव है।
राज्य के एमएसएमई उद्योगों को समय पर भुगतान
सुनिश्चित कराने के लिए राज्य में अब चार के स्थान पर नौ एमएसएमई सुविधा परिषद, दो राज्य स्तर व 7 संभाग स्तर पर होंगी। इसी तरह से सुविधा
परिषद में नहीं आने वाले व अन्य मध्यम व वृहत् उद्यमों को भी राहत देते हुए 45 दिन में भुगतान नहीं होने पर उसके त्वरित
भुगतान के लिए नियमित मोनेटरिंग व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसी तरह से एमएसएमई इकाइयों
के उत्पादों की सरकारी खरीद व्यवस्था का सरलीकरण कर बिडिंग के समय 10 प्रतिशत, प्रतिभूति
0.25 प्रतिशत एवं निष्पादन प्रतिभूति 0.5 प्रतिशत करने के साथ ही सरकारी खरीद निर्देशों
की पालना की नियमित समीक्षा होगी। टास्क फोर्स ने उद्योगों में कैश फ्लो बनाए रखने
के लिए मुख्यमंत्री लघु उद्यम प्रोत्साहन योजना में ब्याज अनुदान में आधे प्रतिशत की
बढ़ोतरी करते हुए अधिकतम 10
करोड़ रु. तक के ऋण पर
तीन स्लेब में 5.5 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान देने की अभिशंषा
की है।
टास्क फोर्स ने रीको द्वारा पूर्व में दी
गई छूटों के अतिरिक्तवार्षिक आधार पर सेवा शुल्क एवं आर्थिक किराये की राशि की वसूली, आवंटित भूखण्ड पर गतिविधि प्रारम्भ करने
की नियत अवधि में विस्तार अथवा हुई देरी का नियमितीकरण, सफलतम बोलीदाता को भूमि की कीमत की 25 प्रतिशत राशि जमा कराने के लिए ब्याज रहित/सहित
समयावधि विस्तार, भूमि की बकाया 75 प्रतिशत प्रीमियम राशि 120 दिन की अवधि में जमा कराने हेतु 90 दिवस की अतिरिक्त समयावृद्धि (ब्याज रहित), भूमि की बकाया 75 प्रतिशत प्रीमियम राशि को किश्तों में भुगतान
की समयसारिणीमें अतिरिक्त समयावृद्धि, लीजडीड
निष्पादित कराने की 90
दिन की अवधि में बिना
शास्ति के अतिरिक्त समयावृृद्धि प्रदान, वर्षा
जल पुनर्भरण संरचना निर्माण नहीं किये जाने की स्थिति में एकमुश्त देय शास्ति की राशि
में छूट, आवंटित भूखण्ड का भौतिक कब्जा लेने की अवधि
में वृद्धि, भूखण्ड के उपविभाजन अथवा/एवं हस्तान्तरण
पर देय शुल्क में छूट,
रीको के द्वारा नीलामी
के माध्यम से आवंटित भूखण्ड़ की बकाया 75 प्रतिशत
राशि जमा कराने के लिए वर्तमान 3
या 7 किश्तों के स्थान पर 11 किश्तों की सुविधा प्रदान करने हेतु नियमों
में संशोधन का प्रस्ताव किया है। इसी के साथ अधिकारों का विकेन्द्रीकरण करते हुए एमडी
रीको को अधिक अधिकार देने व रीको औद्योगिक क्षेत्र के प्रभारियों को भी निश्चित सीमा
तक निष्पादन का अधिकृत किया है।
टास्क फोर्स ने आरएफसी के माध्यम से एम.एस.एम.ई.
इकाइयों की तरलता बनाये रखने हेतु अतिरिक्त ऋण और ब्याज दर में एक प्रतिशत कमी करने
का सुझाव दिया है। इसके लिए आरएफसी को राज्य सरकार द्वारा 100 करोड़ की अंशपूंजी करानी होगी। निगम द्वारा
एम.एस.एम.ई. इकाइयों को दो तिमाही की वसूली, अनुमानित
100 करोड रूपये, स्थगित कर बडी राहत प्रदान की गई है।
टास्क फोर्स ने उद्योगों की बिजली से संबंधित
समस्याओं के सभी बिन्दुओं पर गंभीरता से विचार किया गया। विद्युत विभाग द्वारा बिजली
के स्थाई शुल्क 3 माह (दिनांक 30.06.2020 तक) के लियेे पूर्णतः माफ करने, बिजली के बिलों का निर्धारण मार्च 2020 के आधार पर, माह अप्रेल-मई, 2020 के विद्युत बिलों में कम विद्युत खपत की
पेनल्टी माफ करने, विद्युत की कम दरों का लाभ लेने के लिए लॉकडाउन
अवधि में लोड फैक्टर की गणना कान्ट्रेक्ट डिमाण्ड के स्थान पर वास्तविक डिमाण्ड से
करने की अनुशंषा की है। इसी तरह से सोलर कैप्टिव पावर प्लांट से बिजली उत्पादन एवं
उसको स्वयं के कारखाने में उपयोग करने पर वाणिज्य कर विभाग द्वारा वर्ष 2020-2021 हेतु विद्युत शुल्क छूट की अधिसूचना शीघ्र
जारी करने, कैप्टिव पावर प्लान्ट से उत्पादित विद्युत
लॉकडाउन के कारण इकाइयों के उपयोग में नहीं आई एवं राज्य के ग्रिड में चली गई, जिसका क्रेडिट उद्योगों को आगामी माह में
देय, उद्योगों हेतु रात्रिकालीन विद्युत शुल्क
को कम तथा नए कनेक्शन और मौजूदा लोड एक्सटेंशन के लिए विद्युत वितरण निगमों के पास
जमा कराई जाने वाली राशि में छूट,
पेयजल का स्थाई शुल्क/मीटर
किराया 3 माह के लिये वसूल नहीं कर उपभोग की वास्तविक
राशि की वसूली करने का प्रस्ताव किया है।
टास्कफोर्स ने सभी बिन्दुओं पर गंभीरता से
विचार करते हुए राज्य के वाणिज्य कर विभाग में बकाया जीएसटी रिफण्ड का शीघ्र भुगतान
करने को कहा है। नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग से संबंधित बिन्दुओं पर विचार
करते हुए टास्क फोर्स ने शहरी क्षेत्र में औद्योगिक प्रयोजनार्थ घोषित भूमि पर अकृषि
प्रयोजनार्थ रूपान्तरण की आवश्यकता समाप्त करने, राजस्थान
राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा कंसेट ऑफ एस्टाब्लिस एण्ड कंसेट टू आपरेट की अवधि
में एक वर्ष हेतु स्वतः वृद्धि करने, कृषि-प्रसंस्करण
एवं कृषि-विपणन इकाईयों की स्थापना,
पर्यटन इकाई के अन्तर्गत
एम्यूजमेंट पार्क, रिसोर्ट, मोटल
प्रयोजनार्थ प्रीमियम दर भूखण्ड के क्षेत्रफल के स्थान पर भू-आच्छादन क्षेत्र पर फार्म
हाउस के लिये निर्धारित की गयी दर पर लिया जायेगा।
राज्य सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स ने
अपनी रिपोर्ट में कोविड-19
के कारण प्रभावित पर्यटन
और होटल उद्योग को भी संजीवनी देने के कदम उठाए हैं। कोविड-19 के पश्चात्वर्ती परिस्थितियों में पर्यटन
सेक्टर को थ्रस्ट सेक्टर में सम्मिलित करते हुए रिप्स 2019 के तहत सभी देय करों, वैट, स्टाम्प
ड्यूटी आदि में रियायतें,
निर्यात प्रोत्साहन, रोजगार के अवसर, अनुदान इत्यादि पर्यटन क्षेत्र को प्रदान
किये जायेंगे। इसी तरह से रिप्सके तहत लाभों का एक वर्ष के लिये विस्तार,पर्यटन इकाईयों को औद्योगिक दर पर विद्युत
व्यय को वाणिज्यिक के स्थान पर औद्योगिक दर लिए जाने का प्रस्ताव है।
पर्यटन क्षेत्र को सबसे बड़ी राहत लॉक डाउन
अवधि में पर्यटन स्थलों के पंजीकृत गाइड्स, नेचर
गाइड्स, ऊँट व जीप सफारी चालकों, ऊँट गाड़ी मालिकों तथा स्थानीय लोक कलाकारों
को जीविका निर्वहन अनुदान की सिफारिश की है। इसमें कुल 5475 लोगों के लिए तीन माह के लिए रुपये 4500 की राशि के हिसाब से 1500 रू. प्रतिमाह 3 माह के लिए सीधे बैंक खाते में, कुल राशि रुपये 2.50 करोड़ की आवश्यकता होगी। राज्य सरकार से पंजीकृत
पर्यटन इकाईयों में स्थायी रूप से कार्यरत निचले स्तर के कार्मिकों को निर्वहन भत्ता
देने हेतु रुपये 1500
प्रति माह-कुल तीन माह
के लिए जीविका-निर्वहन भत्ते के रूप में सहायता हेतु अनुमानित कुल राशि रुपये 75 करोड़ का बजट प्रावधान किया जाना प्रस्तावित
है। यह सहयोग राशि पंजीकृत पर्यटन इकाई को ऋण के रूप में भी दी जा सकती है। इसके साथ
ही सभी इकाइयों की लाइसेंस अवधि एक वर्ष बढ़ाने, आगामी
एक वर्ष के लिए एसजीएसटी का 100
पुनर्भरण, सड़क परमिट शुल्क की आगामी एक वर्ष तक शतप्रतिशत
निर्मुक्ति, आबकारी शुल्क में आगे 25 फीसदी की कमी आदि महत्वपूर्ण अनुशंषाएं की
है।
रिपोर्ट में राजस्थान भू-राजस्व नियम, 2007 में संशोधन कर 10 हैक्टेयर भूमि के औद्योगिक प्रयोजनार्थ संपरिवर्तन
की आवश्यकता समाप्त करने,
खाद्य प्रसंस्करण एवं
एमएसएमई मंत्रालय भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत नये मेगा फूड पार्क, इकाईयां, एग्री/एमएसएमई
क्लस्टर्स, क्लस्टर्स में इकाईयां तथा खाद्य प्रसंस्करण
इकाईयों की स्थापना,
कृृषि निर्यात नीति के
अन्तर्गत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों हेतु उच्च संभावना वाली फसलों एवं नये पशुपालन
क्लस्टरों का चयन आदि प्रस्तावित है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा मई
माह में घोषित पैकेज को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की एमएसएमई इकाइयों को अधिकाधिक
लाभ दिलाने के उद््देश्य से राज्य सरकार ने 2 जून
को अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का
गठन किया गया था। इस टास्क फोर्स के प्रमुख शासन सचिव पर्यटन श्रीमती श्रेया गुहा, प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास श्री भास्कर
ए सावंत, प्रबंध निदेशक रीको श्री आशुतोष पेडनेकर, आयुक्त कृषि डॉ. ओम प्रकाश, आयुक्त उद्योग श्री मुक्तानन्द अग्रवाल तथा
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के प्रतिनिधि सदस्य है। केन्द्र सरकार द्वारा घोषित पैकेज
के 20 हजार करोड़ के अधीनस्थ ऋण, 50 हजार करोड़ रु. का अशपूंजी संचार और एमएसएमई
सेक्टर में ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए नए कदम उठाने के संबंध में अभी तक भी दिशा-निर्देश
जारी नहीं होने के कारण राज्य सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स द्वारा मुख्य सचिव को
अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग और एमएसएमई टास्क
फोर्स के अध्यक्ष डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना मेंइकाईयों
के लंबित अनुदान की राशि का भुगतान आगामी 2 माह
में करने पर अतिरिक्त 600
करोड़ रूपये का भार पड़ेगा।
इसमें 400 करोड़ रूपये वाणिज्यिक कर विभाग को पात्र
इकाईयों के निवेश व रोजगार सृजन अनुदान और 175 करोड़
रूपये उद्योग विभाग को पात्र इकाईयों के नकद अनुदान के भुगतान का भार पड़ेगा। टेक्सटाईल
क्षेत्र की वर्तमान में पात्र इकाईयां के लंबित ब्याज अनुदान की राशि का भुगतान आगामी
2 माह में करने पर 125 करोड़ रु. का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।
राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2003,
2010, 2014, 2019 के
अन्तर्गत लाभ अवधि में वृद्धि,
कस्टमाईज्ड पैकेज में
शिथिलता, टेक्सटाईल एवं अन्य उद्योगों हेतु विशेष
पैकेज एवं त्वरित भुगतान किया जाएगा। रिप्स में कस्टमाइज पैकेज के लिए न्यूनतम निवेश
और रोजगार सीमा को कम करते हुए न्यूनतम निवेश 50 करोड़
रु. और 100 व्यक्तियों को रोजगार पर देय प्रस्तावित
है। इसी तरह से सिंगल विण्डों सिस्टम के तहत विभिन्न स्वीकृतियों के लिए निर्धारित
समय सीमा को 7 से 15 दिवस
करने का प्रस्ताव है।
राज्य के एमएसएमई उद्योगों को समय पर भुगतान
सुनिश्चित कराने के लिए राज्य में अब चार के स्थान पर नौ एमएसएमई सुविधा परिषद, दो राज्य स्तर व 7 संभाग स्तर पर होंगी। इसी तरह से सुविधा
परिषद में नहीं आने वाले व अन्य मध्यम व वृहत् उद्यमों को भी राहत देते हुए 45 दिन में भुगतान नहीं होने पर उसके त्वरित
भुगतान के लिए नियमित मोनेटरिंग व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसी तरह से एमएसएमई इकाइयों
के उत्पादों की सरकारी खरीद व्यवस्था का सरलीकरण कर बिडिंग के समय 10 प्रतिशत, प्रतिभूति
0.25 प्रतिशत एवं निष्पादन प्रतिभूति 0.5 प्रतिशत करने के साथ ही सरकारी खरीद निर्देशों
की पालना की नियमित समीक्षा होगी। टास्क फोर्स ने उद्योगों में कैश फ्लो बनाए रखने
के लिए मुख्यमंत्री लघु उद्यम प्रोत्साहन योजना में ब्याज अनुदान में आधे प्रतिशत की
बढ़ोतरी करते हुए अधिकतम 10
करोड़ रु. तक के ऋण पर
तीन स्लेब में 5.5 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान देने की अभिशंषा
की है।
टास्क फोर्स ने रीको द्वारा पूर्व में दी
गई छूटों के अतिरिक्तवार्षिक आधार पर सेवा शुल्क एवं आर्थिक किराये की राशि की वसूली, आवंटित भूखण्ड पर गतिविधि प्रारम्भ करने
की नियत अवधि में विस्तार अथवा हुई देरी का नियमितीकरण, सफलतम बोलीदाता को भूमि की कीमत की 25 प्रतिशत राशि जमा कराने के लिए ब्याज रहित/सहित
समयावधि विस्तार, भूमि की बकाया 75 प्रतिशत प्रीमियम राशि 120 दिन की अवधि में जमा कराने हेतु 90 दिवस की अतिरिक्त समयावृद्धि (ब्याज रहित), भूमि की बकाया 75 प्रतिशत प्रीमियम राशि को किश्तों में भुगतान
की समयसारिणीमें अतिरिक्त समयावृद्धि, लीजडीड
निष्पादित कराने की 90
दिन की अवधि में बिना
शास्ति के अतिरिक्त समयावृृद्धि प्रदान, वर्षा
जल पुनर्भरण संरचना निर्माण नहीं किये जाने की स्थिति में एकमुश्त देय शास्ति की राशि
में छूट, आवंटित भूखण्ड का भौतिक कब्जा लेने की अवधि
में वृद्धि, भूखण्ड के उपविभाजन अथवा/एवं हस्तान्तरण
पर देय शुल्क में छूट,
रीको के द्वारा नीलामी
के माध्यम से आवंटित भूखण्ड़ की बकाया 75 प्रतिशत
राशि जमा कराने के लिए वर्तमान 3
या 7 किश्तों के स्थान पर 11 किश्तों की सुविधा प्रदान करने हेतु नियमों
में संशोधन का प्रस्ताव किया है। इसी के साथ अधिकारों का विकेन्द्रीकरण करते हुए एमडी
रीको को अधिक अधिकार देने व रीको औद्योगिक क्षेत्र के प्रभारियों को भी निश्चित सीमा
तक निष्पादन का अधिकृत किया है।
टास्क फोर्स ने आरएफसी के माध्यम से एम.एस.एम.ई.
इकाइयों की तरलता बनाये रखने हेतु अतिरिक्त ऋण और ब्याज दर में एक प्रतिशत कमी करने
का सुझाव दिया है। इसके लिए आरएफसी को राज्य सरकार द्वारा 100 करोड़ की अंशपूंजी करानी होगी। निगम द्वारा
एम.एस.एम.ई. इकाइयों को दो तिमाही की वसूली, अनुमानित
100 करोड रूपये, स्थगित कर बडी राहत प्रदान की गई है।
टास्क फोर्स ने उद्योगों की बिजली से संबंधित
समस्याओं के सभी बिन्दुओं पर गंभीरता से विचार किया गया। विद्युत विभाग द्वारा बिजली
के स्थाई शुल्क 3 माह (दिनांक 30.06.2020 तक) के लियेे पूर्णतः माफ करने, बिजली के बिलों का निर्धारण मार्च 2020 के आधार पर, माह अप्रेल-मई, 2020 के विद्युत बिलों में कम विद्युत खपत की
पेनल्टी माफ करने, विद्युत की कम दरों का लाभ लेने के लिए लॉकडाउन
अवधि में लोड फैक्टर की गणना कान्ट्रेक्ट डिमाण्ड के स्थान पर वास्तविक डिमाण्ड से
करने की अनुशंषा की है। इसी तरह से सोलर कैप्टिव पावर प्लांट से बिजली उत्पादन एवं
उसको स्वयं के कारखाने में उपयोग करने पर वाणिज्य कर विभाग द्वारा वर्ष 2020-2021 हेतु विद्युत शुल्क छूट की अधिसूचना शीघ्र
जारी करने, कैप्टिव पावर प्लान्ट से उत्पादित विद्युत
लॉकडाउन के कारण इकाइयों के उपयोग में नहीं आई एवं राज्य के ग्रिड में चली गई, जिसका क्रेडिट उद्योगों को आगामी माह में
देय, उद्योगों हेतु रात्रिकालीन विद्युत शुल्क
को कम तथा नए कनेक्शन और मौजूदा लोड एक्सटेंशन के लिए विद्युत वितरण निगमों के पास
जमा कराई जाने वाली राशि में छूट,
पेयजल का स्थाई शुल्क/मीटर
किराया 3 माह के लिये वसूल नहीं कर उपभोग की वास्तविक
राशि की वसूली करने का प्रस्ताव किया है।
टास्कफोर्स ने सभी बिन्दुओं पर गंभीरता से
विचार करते हुए राज्य के वाणिज्य कर विभाग में बकाया जीएसटी रिफण्ड का शीघ्र भुगतान
करने को कहा है। नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग से संबंधित बिन्दुओं पर विचार
करते हुए टास्क फोर्स ने शहरी क्षेत्र में औद्योगिक प्रयोजनार्थ घोषित भूमि पर अकृषि
प्रयोजनार्थ रूपान्तरण की आवश्यकता समाप्त करने, राजस्थान
राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा कंसेट ऑफ एस्टाब्लिस एण्ड कंसेट टू आपरेट की अवधि
में एक वर्ष हेतु स्वतः वृद्धि करने, कृषि-प्रसंस्करण
एवं कृषि-विपणन इकाईयों की स्थापना,
पर्यटन इकाई के अन्तर्गत
एम्यूजमेंट पार्क, रिसोर्ट, मोटल
प्रयोजनार्थ प्रीमियम दर भूखण्ड के क्षेत्रफल के स्थान पर भू-आच्छादन क्षेत्र पर फार्म
हाउस के लिये निर्धारित की गयी दर पर लिया जायेगा।
राज्य सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स ने
अपनी रिपोर्ट में कोविड-19
के कारण प्रभावित पर्यटन
और होटल उद्योग को भी संजीवनी देने के कदम उठाए हैं। कोविड-19 के पश्चात्वर्ती परिस्थितियों में पर्यटन
सेक्टर को थ्रस्ट सेक्टर में सम्मिलित करते हुए रिप्स 2019 के तहत सभी देय करों, वैट, स्टाम्प
ड्यूटी आदि में रियायतें,
निर्यात प्रोत्साहन, रोजगार के अवसर, अनुदान इत्यादि पर्यटन क्षेत्र को प्रदान
किये जायेंगे। इसी तरह से रिप्सके तहत लाभों का एक वर्ष के लिये विस्तार,पर्यटन इकाईयों को औद्योगिक दर पर विद्युत
व्यय को वाणिज्यिक के स्थान पर औद्योगिक दर लिए जाने का प्रस्ताव है।
पर्यटन क्षेत्र को सबसे बड़ी राहत लॉक डाउन
अवधि में पर्यटन स्थलों के पंजीकृत गाइड्स, नेचर
गाइड्स, ऊँट व जीप सफारी चालकों, ऊँट गाड़ी मालिकों तथा स्थानीय लोक कलाकारों
को जीविका निर्वहन अनुदान की सिफारिश की है। इसमें कुल 5475 लोगों के लिए तीन माह के लिए रुपये 4500 की राशि के हिसाब से 1500 रू. प्रतिमाह 3 माह के लिए सीधे बैंक खाते में, कुल राशि रुपये 2.50 करोड़ की आवश्यकता होगी। राज्य सरकार से पंजीकृत
पर्यटन इकाईयों में स्थायी रूप से कार्यरत निचले स्तर के कार्मिकों को निर्वहन भत्ता
देने हेतु रुपये 1500
प्रति माह-कुल तीन माह
के लिए जीविका-निर्वहन भत्ते के रूप में सहायता हेतु अनुमानित कुल राशि रुपये 75 करोड़ का बजट प्रावधान किया जाना प्रस्तावित
है। यह सहयोग राशि पंजीकृत पर्यटन इकाई को ऋण के रूप में भी दी जा सकती है। इसके साथ
ही सभी इकाइयों की लाइसेंस अवधि एक वर्ष बढ़ाने, आगामी
एक वर्ष के लिए एसजीएसटी का 100
पुनर्भरण, सड़क परमिट शुल्क की आगामी एक वर्ष तक शतप्रतिशत
निर्मुक्ति, आबकारी शुल्क में आगे 25 फीसदी की कमी आदि महत्वपूर्ण अनुशंषाएं की
है।
रिपोर्ट में राजस्थान भू-राजस्व नियम, 2007 में संशोधन कर 10 हैक्टेयर भूमि के औद्योगिक प्रयोजनार्थ संपरिवर्तन
की आवश्यकता समाप्त करने,
खाद्य प्रसंस्करण एवं
एमएसएमई मंत्रालय भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत नये मेगा फूड पार्क, इकाईयां, एग्री/एमएसएमई
क्लस्टर्स, क्लस्टर्स में इकाईयां तथा खाद्य प्रसंस्करण
इकाईयों की स्थापना,
कृृषि निर्यात नीति के
अन्तर्गत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों हेतु उच्च संभावना वाली फसलों एवं नये पशुपालन
क्लस्टरों का चयन आदि प्रस्तावित है।
No comments