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राज्य सरकार अपने विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति गंभीर - उच्च शिक्षा राज्य मंत्री

जयपुर, 10 जून। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री भवंर सिंह भाटी ने कहा कि राज्य सरकार अपने विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति अत्यंत गंभीर है । उन्होंने कहा कि राज्य में मध्य जुलाई से पहले स्नातक और स्नातकोत्तर अंतिम वर्षों की परीक्षाओं और उसके बाद चरणबद्ध रूप से शेष कक्षाओं की परीक्षाओं का आयोजन करवाया जायेगा।

श्री भाटी बुधवार को यहां राज्य के स्व-वित्तपोषित विश्वविद्यालयों के चेयरपर्सन, प्रेसिडेंट तथा प्रतिनिधियों के साथ उच्च शिक्षा से संबंधित मुद्दों पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हमारा राज्य उच्च शिक्षा संस्थानों की दृष्टि से भारत में प्रथम स्थान पर है । हमें संख्यात्मक वृद्धि के साथ गुणात्मकता विकास करना है तथा उन्हें निर्देशित किया की सभी पाठ्यक्रमों का संचालन राज्य सरकार और नियामक संस्थाओं के नियमानुसार ही किया जाए । सभी विश्वविद्यालय अपने रिकॉर्ड को डिजिटलाइज करें और प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता व प्रक्रिया सुनिश्चित करें तथा राज्य सरकार द्वारा जारी कर्मचारी कल्याण नीति को लागू किया जाए । इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी आह्वान किया कि कोरोना के दौर में विद्यार्थियों की फीस के संबंध में सहानुभूति पूर्ण रुख अपनाया जाए।

कार्यक्रम में राज्य के 51 स्व-वित्तपोषित विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ शासन सचिव, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा तथा शिक्षा ग्रुप-4 के अधिकारी शामिल हुए। इस वार्ता में विश्वविद्यालयों की विशेष रही परीक्षाओं के आयोजन, प्रवेश प्रक्रिया, आगामी सत्र के आरंभ करने आदि सहित अनेक बिंदुओं पर चर्चा हुई।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री भाटी ने कोरोना महामारी के दौरान निजी विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए आर्थिक सहयोग, क्वॉरेंटाइन सेंटर के रूप में कैंपस उपलब्ध करवाने, कोरोना रेस्क्यू सेंटर बनाने, अस्पतालों में जांच और इलाज की सुविधाएं मुहैया करवाने, ड्राई राशन और भोजन की व्यवस्था, सैनिटाइजर और मास्क उपलब्ध करवाने के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस संवाद में उन्होंने उल्लेख किया कि राज्य में कुछ विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहे हैं, जब कि कुछ विश्वविद्यालयों में अनेक प्रकार की अनियमिताएं चल रही हैं, जिसके कारण विद्यार्थियों और अभिभावकों को बहुत नुकसान हो रहा है। इसके लिए 15 वीं विधानसभा के दूसरे सत्र में सदस्यों द्वारा भी निजी विश्वविद्यालयों की अनियमितताओं के सम्बन्ध में चिंता जाहिर की गई थी तथा निजी विश्वविद्यालयों पर नियत्रंण के लिए नियामक संस्था बनाये जाने के लिए सुझाव दिया गया था। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर उनके विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही भी की गई है। इस अवसर पर निजी विश्वविद्यालयों द्वारा कृषि संकाय में बिना एंट्रेंस एग्जाम के प्रवेश करने, ऑनलाइन परीक्षा करवाने, पदनाम परिवर्तन आदि की मांग रखी गई।

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