कोविड-19 में सहकारी समितियों के कार्यों में बदलाव की पहल
गौण मंडी बनी सहकारी
समितियों से 15000 किसानों को मिला लाभ
- खेत के समीप उपज
बेचान की सुविधा से 135 करोड़ रूपए की फसल
बेची गई
- किसानों ने 16 फसलों की 6 लाख क्विंटल उपज का
किया बेचान
- सहकारी समितियों के
व्यवसाय एवं आय में हुई वृद्धि
जयपुर, 05 जून। कोविड-19 महामारी में लॉकडाउन
के कारण किसानों को उपज बेचने की असुविधा को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री अशोक
गहलोत ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियों को गौण मंडी
का दर्जा देने का निर्णय किया इसका नतीजा यह रहा कि नियमों में शिथिलता देकर 604 ग्राम सेवा सहकारी
समितियों को गौण मंडी घोषित किया गया। इन गौण मंडियों में 427 गौण मंडियों ने
सुचारू रूप से कार्य कर महामारी के दौर में किसानों को खेत के समीप ही उपज बेचान
की सुविधा प्रदान की।
लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन की पालना
करते हुए गौण मंडियों को सक्रिय करना चुनौतीपूर्ण था लेकिन सहकारिता मंत्री श्री
उदय लाल आंजना के मार्गदर्शन एवं प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता एवं कृषि
श्री नरेश पाल गंगवार की लगातार मानिटरिंग ने इस कार्य को आसान बनाया। कठिन
परिस्थितियों में व्यवस्थापक से अतिरिक्त रजिस्ट्रार तक के अधिकारियों को वीडियो
कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से पूरी प्रक्रिया समझाई गई एवं समस्याओं का समाधान किया
गया।
प्रदेश में हो रही खरीद में 427 ग्राम सेवा सहकारी
समितियां एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियां गौण मंडी के रूप में सक्रिय रूप से
कार्य कर रही है।बीकानेर संभाग में 141, उदयपुर संभाग में 71, जोधपुर संभाग में 66, अजमेर संभाग में 42, जयपुर संभाग में 40, भरतपुर संभाग में 39 तथा कोटा संभाग में 28 सहकारी समितियों गौण
मंडी का कार्य कर रही है। इन गौण मंडियों के संचालन में सहकारिता के साथ कृषि
विभाग के अधिकारियों का भी भरपूर सहयोग रहा।
6 लाख 13 हजार क्विंटल उपज का
विक्रय
गौण मंडी सहकारी समितियों के 31 मई तक के आंकड़ों पर
गौर करे तो 15
हजार
से अधिक किसानों से 16 फसलों को गौण मंडी प्रांगण से विक्रय किया गया। जिसके पेटे 135 करोड़ रूपए से अधिक का
भुगतान किसानों को हुआ। 6 लाख 13 हजार 729 क्विंटल से अधिक उपज बेची गई। मंडी
शुल्क के रूप में 1.66 करोड़ रूपए की आय हुई। जिसमें से लगभग 1 करोड़ रूपए सहकारी
समितियों को प्राप्त हुए।
किसानों के समय एवं
धन की बचत
सरकार की इस पहल से किसानों के धन एवं
समय के साथ कोरोना संक्रमण का बचाव भी हुआ। पहले जहां किसान को 20-25 किलोमीटर दूर मंडी
में उपज बेचने जाना होता था लेकिन इस व्यवस्था से यह दूरी घटकर 2 से 5 किलोमीटर हो गई।
लॉकडाउन के दौरान टे्रक्टर सहित अन्य वाहनों की किल्लत भी थी। ऎसे में सैम्पल के
आधार पर ही बोली लग जाती थी और स्थानीय स्तर पर ही प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य में उपज
बिकने से किसान की वित्तीय जरूरतें भी पूरी हुई। अधिक किसानों के मंडी में जाने पर
सोशल डिस्टेंसिंग में भी समस्या रहती है गौण मंडियां बनने से इसका लाभ हुआ।
16 फसलों की बिक्री, बीकानेर संभाग रहा
अव्वल
427 गौण मंडी सहकारी
समितियों के प्रांगण से किसानों ने 16 फसलों जिनमें गेहूं, बाजरा, सरसों, चना, मक्का, तारामीरा, जौ, मैथी, मसूर, सोयाबीन, अरंडी, लहसुन, अलसी, ग्वार, मौठ एवं इसबगोल को
विक्रय किया। संभागों में सर्वाधिक बीकानेर संभाग से 6 हजार 464 किसानों ने 4 लाख 47 हजार 569 क्विंटल उपज बेची।
जिसकी राशि 75.80
करोड़
रूपए है। गंगानगर जिले के ही 6 हजार 117 किसानों ने 4.39 लाख क्विंटल उपज का
बेचान गौण मंडी सहकारी समितियों के माध्यम से किया।
सहकारी समितियों की
आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई
सहकारी समितियों को गौण मंडी का दर्जा
मिलने से इनकी आय में बढ़ोतरी हुई। सरकार ने निर्णय लिया कि मंडी टैक्स का 60 प्रतिशत गौण मंडी
सहकारी समितियों के पास रहेगा। इस प्रकार करीब 1 करोड़ रूपए इन
समितियों को मिले। इससे समितियों अपने अन्य व्यवसाय में वृद्धि करेगी। गौण मंडी
कार्य में लगे कार्मिकों को 10 प्रतिशत राशि प्रोत्साहन के रूप में भी मिल रही है। आज भी
अधिकांश समितियां खाद-बीज एवं ऋण वितरण तक ही सीमित है लेकिन इस पहल ने सहकारिता
की मजबूती की दिशा में एक नई सोच दी है।
पूरे भारत में यह एक तरह का नया प्रयोग
था जिसने महामारी के दौर में किसानों को उपज बेचान के लिए अपने खेत एवं घर के
नजदीक प्लेटफार्म दिया है। जिससे मुख्य अनाज मंडियों में भीड़ कम हुई एवं गौण मंडी
सहकारी समितियों में मुख्य मंडियों जैसी सुविधाएं भी प्रदान की गई है। धीरे-धीरे
यह किसान के खेत से ही उपज बेचान के चेन सिस्टम को विकसित करेगा।
‘‘मुख्यमंत्री श्री
अशोक गहलोत के निर्णय से किसानों की कोरोना महामारी में तकलीफ दूर हुई है। ग्राम
पंचायत पर जीएसएस एवं पंचायत समिति पर केवीवीएस का ढ़ाचा होने से किसानों को इस
सुविधा का लाभ मिला है और उन्हें खेत के समीप ही उपज बेचने का प्लेटफार्म उपलब्ध
कराया गया है।’’
श्री उदय लाल आंजना
सहकारिता मंत्री
‘‘जीएसएस एवं केवीएसएस
के गौण मंडी बनने से किसानों को घर के नजदीक ही उपज बेचने की सुविधा मिली है। इससे
समितियों की आय बढ़ेगी तथा समितियां और अच्छा कार्य करेंगी। हमारी मंशा है कि यह
स्थायी व्यवस्था लगातार कार्य करे ताकि किसानों को लाभ हो सके।’’
श्री नरेशपाल गंगवार
प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता
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