- छ: सौ से अधिक अधिकारी-कर्मचारी बिना अवकाश
डेढ़ माह से
- रोजाना 14 घंटे से अधिक फील्ड में रहकर कर रहे व्यवस्था
जयपुर, 7 मई। जिला
प्रशासन को लॉकडाउन के कारण अपने घरों में रहने को मजबूर, रोज खाने
कमाने वालों, श्रमिकों, माइग्रेन्ट्स व अन्य जरूरतमंदों के लिए दोनों समय के भोजन की चुनौती को पूरा करते
हुए हुए बुधवार को डेढ माह पूरा हो गया। 23 मार्च को मात्र 1000-1200 फूड पैकेट्स के वितरण से प्रारम्भ हुआ यह सफर अब तक लाखों जरूरतमंदों को फूड पैकेट्स
के वितरण के बाद भी अनवरत जारी है। मुख्यमंत्री के संकल्प ‘‘एक भी व्यक्ति
भूखा नहीं सोए‘‘ से प्रेरित जिला प्रशासन, अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों
एवं विभिन्न संस्थाओं के प्रयासों से शहर में जब तक लॉकडाउन के कारण एक भी व्यक्ति
को भोजन की जरूरत है, यह सिलसिला अनवरत जारी रहेगा।
जिला कलक्टर डॉ.जोगाराम ने बताया कि कोविड-19 और इससे जुड़ी चुनौतियां जिला प्रशासन
के लिए भी नई थीं, इनमें चिकित्सकीय पहलू के साथ सबसे
बड़ी चुनौती हर जरूरतमंद तक भोजन पहुंचाने की थी। पीडीएस और कच्ची राशन सामग्री वितरण
के बावजूद तत्काल जरूरतमंदों की मांग का आकलन कर तैयार खाना पहुंचाना सबसे जरूरी और
चुनौतीपूर्ण काम था। रोजाना इतनी बड़ी संख्या में फूड पैकेट्स का निर्माण, परिवहन
और जरूरतमंद तक वितरण काफी श्रम एवं समय साध्य है। शुरूआत में सबसे पहले नगर निगम के
13 रैन बसेरा स्थलों एवं अक्षय पात्र द्वारा करीब 20 अक्षय कलेवा स्थलों पर तैयार खाने
का वितरण प्रारम्भ किया गया लेकिन धीरे-धीरे मांग बढने लगी।
जिला कलक्टर ने बताया कि जब शहर में मांग तेजी से बढी तो नगर निगम जयपुर के आयुक्त
श्री वी.पी.सिंह के निर्देशन में जयपुर स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट के सीईओ श्री लोकबन्धु
एवं उनकी पूरी समर्पित टीम इसके लिए तैयार की गई, जिसकी जिम्मेदारी न सिर्फ भोजन का
निर्माण और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वितरण कराना बल्कि पूरे तंत्र मे आने वाली हर समस्या
का त्वरित समाधान करना था। खाने की गुणवत्ता और समयबद्धता पर भी इस टीम को पूरी निगरानी
रखनी थी जिसे उन्होने बखूबी निभाया।
व्यवस्था के प्रारम्भ में अतिरिक्त जिला कलक्टर द्वितीय श्री पुरूषोत्तम शर्मा
ने फूड निर्माण एवं वितरण का ढांचा तैयार किया एवं डीएसओ श्री कनिष्क सैनीे ने संस्थाओं
से बात कर इस व्यवस्था में अहम योगदान दिया। जिला कलक्ट्रेट कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष
श्री अमित जैमन और महासचिव श्री प्रदीप सिंह राठौड़ के नेतृत्व में पूरी कर्मचारी यूनियन
ने भी व्यवस्था को जमाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। सिविल डिफेंस के उपनियंत्रक श्री जगदीश रावत के नेतृत्व में सिविल डिफेंस टीम ने
भी पूरी व्यवस्था में अपनी जिम्मेदारी संभाल ली।
जिला कलक्टर ने बताया कि पूरे जयपुर शहर की मांग को पूरा करने का
बडा लक्ष्य बिना समर्पित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के संभव नहीं था। तहसीलदार श्री
नरेन्द्र कुमार जैन,
तहसीलदार श्री बलबीर सिंह, स्मार्ट सिटी के अधिशाषी अभियंता श्री अजय
कुमार सिन्धु इस पूरी व्यवस्था के प्रबन्धन की अहम कड़ी हैं।
जिला कलक्टर ने बताया कि जिला प्रशासन, स्मार्ट
सिटी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, इंजीनियर्स, शिक्षा
विभाग के अध्यापक, बूथ लेवल अधिकारी, सिविल डिफेंस
के स्वयंसेवक समेत 600 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी 23 मार्च से बिना एक भी दिन छुट्टी किए सुबह 7 बजे से रात के 11 बजे तक जरूरतमंदों को भोजन पहुंचाने के काम में लगे हैं ताकि शहर में एक भी व्यक्ति
भूखा नहीं सोए। जब रामगंज एवं परकोटा क्षेत्र में कफ्र्यू लगा तो वहां संक्रमित क्षेत्रों
में भी जरूरतमंदों को भोजन पहुंचाने का काम इन अधिकारी-कर्मचारियों ने पहले की तरह
ही जारी रखा। आज भी परकोटा क्षेत्र में पहले की ही तरह फूड पैकेट्स वितरित किए जा रहे
हैं। उन्होने बताया कि हर बार फूड वितरण के साथ कर्मचारियों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग
की पालना करवाने का भी ध्यान रखा जाता है।
कन्ट्रोल रूम, वार रूम, सर्वे और विभिन्न ग्रुप से भी लगातार
सूचना
स्मार्ट सिटी के सीईओ श्री लोकबन्धु ने बताया कि शहर में किसे
और कहां फूड पैकेट्स की जरूरत है,
यह सूचना लगातार 24 घंटे जिला कलक्ट्रेट के कन्ट्रोल रूम
पर, वार रूम में, बूथ लेवल ऑफिसर्स द्वारा क्षेत्रीय
सर्वे में, अधिकारियों-कर्मचारियों के मोबाइल पर, दूसरे राज्यों से, स्वयं जरूरतमंदों से लगातार मिलती रही
है। इन सूचनाओं पर सतत निगरानी बनी रहती है और हर सूचना को उसके निस्तारण तक फॉलो
किया जाता है क्योंकि यह किसी जरूरतमंद को भोजन प्रदान करने जैसे पुनीत कार्य से
जुड़ी होती है।
यहां तक कि संभव होने
पर सूचना देने वाले को भी भोजन वितरण की जानकारी दी जाती है। सूचना मिलते ही भोजन
वितरण के लिए निर्धारित 53
फूड सेंटर्स में से
निकटतम से जरूरतमंद को भोजन पहुंचाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है।
भोजन की गुणवत्ता को किया सुनिश्चित
श्री लोकबन्धु ने बताया कि लाखों की संख्या में फूड पैकेट्स का
निर्माण एवं वितरण होने के कारण भोजन की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाना भी जरूरी
था। इसके लिए लगातार बड़ी भोजनशालाओं में निरीक्षण एवं सैम्पलिंग की गई। अधिकारियों
की टीम ने कई बार कार्यक्षेत्र में वही भोजन स्वयं भी ग्रहण किया। यहां तक कि भोजन
के निर्माण के लिए भी एगमार्क मानक की ही सामग्री उपयोग ली गई जैसे आटा, तेल, मसाले
आदि। विभन्न स्तरों पर समय-समय पर यह परीक्षण भी जारी है।
प्रवासियों, यात्रियों, अस्पतालों के लिए भोजन व्यवस्था
स्मार्ट सिटी के सीईओ श्री लोकबन्धु ने बताया कि जिला प्रशासन
द्वारा शहर में जरूरतमंदों के लिए भोजन व्यवस्था के साथ ही साथ दूसरे राज्यों से
रेल द्वारा यहां पहुंचे हजारों लोगों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था की गई जिन्हें
बसों द्वारा तीस से अधिक जिलोंं में भेजा गया है। इसी तरह यूपी और अन्य राज्यों को
जाने वाली सैकड़ों बसों के यात्रियों को भी रास्ते के लिए भोजन उपलब्ध कराया गया।
इसके अलावा कई अस्पतालों,
फील्ड वर्कर्स, कुछ श्रमिक कैम्प व जरूरत के अनुसार अलग-अलग
जगह से मांग आने पर भोजन की आपूर्ति की गई।
बनाए रखा संस्थाओं का उत्साह
शुरू में जिला प्रशासन के अलावा भी कई स्वयंसेवी संस्थाएं
मुख्यमंत्री की अपील से प्रेरित होकर और प्रदेश की परम्परा के अनुरूप अपने स्तर पर
जरूरतमंदों को भोजन प्रदान करने में जुट गईं। लेकिन प्रयासों के दोहराव के कारण
जिला प्रशासन के आग्रह पर इनमें से कई संस्थाएं प्रशासन के वितरण तंत्र में शामिल
हो गई। इन संस्थाओं की राशन,
वाहन पास, कार्मिक पास, ईंधन जैसी कई समस्याओं को जिला प्रशासन
द्वारा दूर किया गया एवं इस महत्वपूर्ण कार्य में उनका उत्साह बनाए रखा गया। इसी
समन्वित प्रयास के कारण लगभग 150
संस्था जिनमें एनजीओ, स्वयंसेवी संस्थाएं यथा राधास्वामी
सत्संग न्यास, जैन रसोई, अक्षय
पात्र, जैन तेरापंथी, कुहाड़ ट्रस्ट, हीरावाला इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन, सीतापुरा इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन आदि संस्थाओं ने अपनी सक्रिय भागीदारी
बनाए रखी है।
एप से निगरानी, अचानक आई मांग को भी किया पूरा
जयपुर जैसे महानगर में कई बार
पूर्व निर्धारित और कई बार अचानक फूड पैकेट्स की मांग और आपूर्ति एक बड़ा काम है।
इसे व्यवस्थित करने के लिए तकनीक का भी उपयोग किया गया। भोजन बनने से वितरण तक के
कार्य की एप के माध्यम से निगरानी की गई। श्री लोकबन्धु ने बताया कि कई बार फूड
पैकेट्स की मांग अचानक और भोजन वितरण के सामान्य समय से अलग समय पर प्राप्त हुई तब
एप के जरिए प्रबन्धन कर निकटतम स्थान से जरूरतमंदों को पैकेट्स भिजवाए गए।
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