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संकट के समय राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम बना श्रमिकों का सारथी - परिवहन मंत्री


- परिवहन मंत्री ने रोडवेज के सभी ड्राइवरों, परिचालकों एवं ग्राउण्ड स्टाफ धन्यवाद देकर बढाया हौंसला

-रोडवेज ने करीब 3 लाख 70 हजार लोगों की घर वापसी के लिए लगाए 11 500 फेरे, इस कार्य पर हुए 15 करोड़ रुपए से ज्यादा व्यय

जयपुर, 24 मई। परिवहन मंत्री श्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा है कि राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम ने कोरोना आपदा के समय लाखों नाउम्मीद श्रमिक, विद्यार्थियों एवं आमजन को उनके घरों तक पहुंचाकर एक बार फिर साबित किया है कि वह प्रदेश में सार्वजनिक परिवहन सेवा सच्चा पर्याय है। उन्होंने बताया कि रोडवेज की बसों ने अब तक लॉकडाउन अवधि में करीब 3 लाख 70 हजार प्रवासी एवं अप्रवासी श्रमिकों, छात्रों एवं यहां-वहां फंसे हुए अन्य लोगों को निःशुल्क उनके गंतव्य तक पहुंचाया है।

श्री खाचरियावास ने परिवहन मंत्री के नाते इस सेवा एवं कर्तव्यपालन के लिए रोडवेज के सभी ड्राइवरों, परिचालकों एवं ग्राउण्ड स्टाफ को धन्यवाद देकर उनका होसला बढाया है। उन्होंने बतााया कि इस अवधि में आरएसआरटीसी की बसों ने करीब 11,500 फेरे लगाए, इस कार्य पर करीब 15 करोड़ 20 लाख रुपए खर्च हुए हैं। करीब 95 ट्रेन द्वारा श्रमिकों को यहां लाया एवं यहां से ले जाया गया है। ऎसे करीब 85 हजार लोगों को विभिन्न स्थलों से रेलवे स्टेशन तक एवं रेलवे स्टेशन से उनके गृह राज्यों तक 2129 बसों द्वारा निःशुल्क छोड़ा गया है।

परिवहन मंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल, पंजाब, छत्तीसगढ, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट एवं अन्य राज्यों में यहां-वहां लॉकडाउन के कारण घरों से दूर फंसे लाखों लोगों को उन राज्य सरकारों से बनी सहमति एवं मांग के आधार पर कभी उनके गृह राज्यों के बॉर्डर पर छोड़ा गया तो कभी उन राज्यों के भीतर जाकर गृह जिलों तक। वहां से प्रवासी राजथानियों को प्रदेश लाने का काम भी रोडवेज ने बखूबी निभाया है।

श्री खाचरियावास ने बताया कि जब भी किसी जिले में जिला कलक्टर्स ने राजस्थान के ही विभिन्न जिलों में  रहने वाले  श्रमिकों को क्वारांटाईन से निकालकर उनके घरों तक पहुंचाने के लिए रोडवेज से मांग की, इस मांग को पूरा किया गया। अन्य प्रकार से फंसे हुए या पैदल लौटते श्रमिकों को बिठाकर शिविरों में लाने में रोडवज की बसों ने सवाएं दीं जिन्हें साधनों का इंतजाम कर या तो रोडवेज बसों से ही या रेल के जरिए उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। इसके अलावा जब भी कोविड-19 के विरूद्ध लड़ रहे चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मी की सहायतार्थ, या रोगी एवं अन्य संदिग्ध संक्रमित व्यक्तियों को लाने एवं ले जाने की या पुलिस को जरूरत पड़ी, रोडवेज उनकी मदद के लिए तैयार रही। कोटा में विभिन्न कोचिंग सेंटर्स में फंसे प्रदेश के ही विभिन्न जिलों के निवासी, श्रमिक कैम्पों में रह रहे अन्य जिलों के श्रमिक, जयपुर एवं अन्य जिलों में पढ रहे विद्यार्थियों को लॉकडाउन की अवधि में उनके घर तक पहुंचाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी रोडवेज ने निभाई।

परिवहन मंत्री ने सभी रोडवेजकर्मियों से कहा है कि अभी कोरोना के खिलाफ लड़ाई लम्बी चल सकती है, वे अपना हौसला बनाए रखें एवं अपनी ऎसी ही भरोसेमंद सेवा से सबका हौसला बढाते रहें।

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