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बेहतर क्वारेंटाइन सुविधाओं के साथ की जा रही मानसिक काउंसलिंग - चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री



जयपुर, 23 मई। चिकित्सा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में बाहर से आने वाले प्रत्येक प्रवासी राजस्थानी और कामगारों का मेडिकल चैकअप के साथ उन्हें बेहतरीन क्वारेंटाइन सुविधा देकर मनोचिकित्सकों द्वारा उनकी काउंसलिंग भी करवाई जा रही है, ताकि वे किसी भी तरह का तनाव महसूस ना करें।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में करीब 10 लाख प्रवासी राजस्थानी और श्रमिक राज्य में आए हैं। इनमें से करीब 7.25 लाख लोगों को होम क्वारेंटाइन में रखा गया है जबकि 10 हजार संस्थागत से ज्यादा क्वारेंटाइन सेंटर्स में 35 हजार से ज्यादा  लोगों को रखा जा रहा  है। उन्होंने कहा कि इन सभी क्वारेंटाइन सेंटर्स में खाने-पीने से लेकर सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

बेहतर सुविधाओं के लिए बनाई 3 स्तर पर कमेटी

डॉ.शर्मा ने बताया कि बाहर से आने वाला प्रत्येक प्रवासी राजस्थानी या श्रमिक क्वारेंटाइन सेंटर्स के प्रोटोकॉल का पालन करें और सुविधाओं से लाभान्वित हो इसके लिए 3 तरह की कमेटियों का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत, उपखंड मुख्यालय और जिला स्तर पर कमेटी बनाकर काम किया जा रहा है, ताकि अप्रवासियों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो।

प्रतिदिन ली जा रही है रिपोर्ट, दिए जा रहे हैं निर्देश

डॉ. शर्मा ने बताया कि ग्राम 3 स्तर पर बनी कमेटियों में पंचायत के सरपंच, पूर्व सरपंच, प्रधानाध्यापक, ग्राम सेवक, पटवारी, एनजीओ, समाजसेवियों के अलावा पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को शामिल किया गया है। प्रतिदिन इन कार्यों की मॉनिटरिंग की जाकर पल-पल पर नजर रखी जा रही है। प्रतिदिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निर्देश दिए जाते हैं ताकि कोई भी व्यक्ति क्वारेंटाइन पीरियड का उल्लंघन ना करे।

17 जिलों से मिले 1300 प्रवासी पॉजीटिव

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 2600 लोग कोरोना पॉजीटिव चिन्हित किए गए हैं, इनमें से 1300 से ज्यादा से बाहर से आने वाले प्रवासी हैं। उन्होंने कहा कि डूंगरपुर, सिरोही, पाली, जालौर, बीकानेर सहित 17 जिलों में 1300 से ज्यादा पॉजीटिव केसेज आए हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में पॉजीटिव केसेज की तादात में और भी इजाफा हो सकता है लेकिन सभी लोग यदि क्वारेंटाइन पीरियड को अनुशासन से बिताया तो कोई भी परेशानी नहीं होगी।

होम क्वारेंटाइन में भी रखी जा रही है नजर

उन्होंने बताया कि होम क्वारेंटाइन के लिए 14 दिनों तक घर में रहने और प्रोटोकॉल ना तोड़ने के लिए बॉन्ड भरवाया जा रहा है। उसके दो पड़ोसियों को गवाह बनाया जाता है ताकि वे होम क्वारेंटाइन को तोड़ ना सकें। किसी को भी क्वारेंटाइन प्रोटोकॉल तोड़ने पर संस्थागत क्वारेंटाइन में भी भेज दिया जाता है। उन्होंने बताया कि डीओआईटी के सॉफ्टवेयर के द्वारा भी होम क्वारेंटाइन पर नजर रखते हैं। इससे हमें पता चल जाता है कि कौन व्यक्ति ने कितनी बार प्रोटोकॉल को तोड़ा है।

जांच क्षमता में हुआ लगातार इजाफा

डॉ. शर्मा ने बताया कि प्रदेश में दिनोंदिन टेस्टिंग क्षमता में इजाफा किया जा रहा है। जब प्रदेश में पहला पॉजीटिव केस आया था तब प्रदेश में जांच सुविधा तक नहीं थी। आज प्रदेश भर में 16000 से ज्यादा जांचें प्रतिदिन की जा रही हैं। आने वाले दिनों में इसे 25000 तक पहुंचा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सैंपलिंग के मामला में भी देश चुनिंदा राज्यों में शामिल है। प्रदेश में अब तक लगभग 3 लाख सैंपल किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मृत्युदर भी राष्ट्रीय दर के मुकाबले काफी कम है। प्रदेश में महज 2.36 प्रतिशत है।

क्वारेंटाइन सुविधाओं के लिए राज्य सरकार है संवेदनशील

उन्होंने कहा कि क्वारेंटाइन व्यवस्थाओं के लिए राज्य सरकार बेहद संवेदनशील हैं। स्वयं मुख्यमंत्री सभी व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। इन सुविधाओं के क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती वीनू गुप्ता को इसका प्रभारी बनाया गया है व प्रति दो जिलों पर एक आईएएस अधिकारियों को निगरानी के लिए लगाया गया है। प्रदेश में आने वाले किसी भी प्रवासी को संस्थागत क्वारेंटाइन में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होनी दी जा रही है।

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