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किसानों के हित में कृषि विपणन व्यवस्था हेतु मुख्यमंत्री ने किए कई अहम फैसले



- फसल रहन रखकर केवल 3 प्रतिशत ब्याज पर ऋण ले सकेंगे किसान

- कम दामों पर नहीं बेचनी पडे़गी उपज

जयपुर, 15 मई। कोविड-19 महामारी के इस दौर में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत किसानों को राहत देने के लिए लगातार महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं। उन्होंने किसानों को फसल का बेहतर मूल्य दिलाने, खरीद के लिए सुगम एवं विकेन्द्रीकृत व्यवस्था करने और उपज को रहन रखकर कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने जैसे कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को शुक्रवार को मंजूरी दी है।

श्री गहलोत ने कृषक कल्याण कोष से सहकार किसान कल्याण योजना में प्रतिवर्ष 50 करोड़ रूपये का अनुदान देने का अहम फैसला किया है। इससे किसानों को अब अपनी उपज को रहन रखकर मात्र 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिल सकेगा, जबकि 7 प्रतिशत ब्याज राज्य सरकार द्वारा कृषक कल्याण कोष से वहन किया जाएगा। पहले राज्य सरकार द्वारा केवल 2 प्रतिशत ब्याज वहन किया जाता था।

आमतौर पर बाजार में फसल आने के समय जिंसों के भाव कम होते हैं, लेकिन आवश्यकताओं की पूर्ति और संस्थागत ऋणों को चुकाने के लिए किसान कम दामों पर ही फसल बेचने को मजबूर हो जाते हैं। फसल नहीं बेचें तो जरूरी कार्यों के लिए उन्हें साहूकारों या बिचौलियों के पास अपनी उपज रहन रखकर ऊंची ब्याज दरों पर ऋण लेना पड़ता है। इन परिस्थितियों से बचाकर किसान को तात्कालिक वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने सहकार किसान  कल्याण योजना में प्रतिवर्ष 50 करोड़ रूपये का अनुदान देने का यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।

योजना के तहत किसानों को उनके द्वारा रहन रखी गई उपज के बाजार मूल्य या समर्थन मूल्य, जो भी कम हो के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा तथा मूल्यांकित राशि की 70 प्रतिशत राशि रहन ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। लघु एवं सीमान्त किसानों के लिए 1.50 लाख तथा बड़े किसानों को 3 लाख रूपये तक का ऋण मात्र 3 प्रतिशत ब्याज दर पर मिल सकेगा। यह योजना किसानों के लिए बेहद उपयोगी होगी। वे अपनी कृषि उपज उचित भाव मिलने पर बेच सकेंगे। उन्हें यह सुविधा उनके ग्राम के समीप ही सुलभ हो सकेगी।

किसान को 90 दिवस की अवधि के लिए यह ऋण मिलेगा। विशेष परिस्थितियों में यह सीमा 6 माह तक हो सकेगी। निर्धारित समय में ऋण का चुकारा करने पर किसान को ब्याज अनुदान मिलेगा। किसानों की उपज को सुरक्षित करने के लिए इस योजना को एवं श्रेणी की उन ग्राम सेवा सहकारी समितियों में क्रियान्वित किया जाएगा जिनका नियमित ऑडिट हो रहा हो, लाभ में चल रही हो, एनपीए का स्तर 10 प्रतिशत से कम हो, सरप्लस रिसोर्सेज उपलब्ध हो तथा पूर्णकालिक व्यवस्थापक या सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हो। इस योजना के तहत जीएसएस या लैम्पस के सभी ऋणी एवं अऋणी किसान सदस्य उपज रहन कर ऋण लेने के पात्र होंगे।

मंडियों में भूखंडों पर निर्माण नहीं करा पाने वाले आवंटियों को राहत

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की विभिन्न मंडी समितियों में 99 वर्षीय लीज पद्धति से आवंटित भूखंडों पर विभिन्न कारणों से निर्माण नहीं करा पाने वाले आवंटियों को आवंटन बहाल करने का अवसर प्रदान कर बड़ी राहत दी है।

निर्माण नहीं कराने के कारण जिनके आवंटन निरस्त हो गए थे अगर उन भूखंडों का किसी अन्य को आवंटन नहीं किया गया है तो ऐसे आवंटन पुनः बहाल हो सकेंगे। इसके लिए आवंटियों को 30 जून तक आवंटन राशि का 25 प्रतिशत शास्ति जमा कराने की छूट प्रदान की है। मुख्यमंत्री की इस स्वीकृति से ऐसे प्रकरणों में आवंटियों को 31 दिसम्बर 2020 तक निर्माण करने का अंतिम अवसर प्रदान करने के साथ आवंटन बहाल किया जा सकेगा।

श्री गहलोत ने इसके साथ ही मंडी समिति द्वारा आवंटित भूखंडों का कब्जा तथा टाइप डिजाइन विलम्ब से देने के प्रकरणों में भी आवंटियों को राहत दी है। ऐसे मामलों में कब्जा तथा टाइप डिजाइन देने की तिथि से निर्माण अवधि की गणना की जाएगी। साथ ही तकनीकी बाधाओं के कारण जिन भूखंडों में निर्माण नहीं हो पाया उनमें तकनीकी बाधा दूर होने के बाद कब्जा दिए जाने की तिथि से निर्माण अवधि एवं शास्ति की गणना की जाएगी।

किसानों को प्रमाणित बीज के लिए 200 मंडियों में बनेंगे आउटलेट

मुख्यमंत्री ने राजस्थान राज्य बीज निगम को बीज वितरण आउटलेट स्थापित करने के लिए प्रदेश के 200 कृषि उपज मंडी परिसरों में भूखंड तथा रिक्त निर्मित परिसंपत्तियां उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में उन्नत बीज की मांग को देखते हुए राज्य बीज निगम द्वारा प्रमाणित बीज का उत्पादन 8 लाख क्विंटल से बढ़ाकर 12 लाख क्विंटल किया जाना है। साथ ही 200 मंडियों में चरणबद्ध रूप से बीज वितरण आउटलेट स्थापित किए जाने हैं। श्री गहलोत ने इसके लिए 97 मंडियों में रिक्त निर्मित परिसंपत्तियां तथा शेष 103 मंडियों में रिक्त चिन्हित भूखंडों के आवंटन को स्वीकृति दी है।

निजी गौण मंडी को प्रतिभूति राशि एवं भूमि की आवश्यकता की अनिवार्यता में शिथिलता

इसी प्रकार श्री गहलोत ने वेयरहाउस डेवलपमेंट रेगुलेरिटी ऑथोरिटी (डब्ल्यूडीआरए) से रजिस्टर्ड निजी वेयरहाउस को निजी गौण मण्डी घोषित किये जाने के संबंध में प्रतिभूति राशि एवं भूमि की आवश्यकता संबंधी प्रावधानों में भी शिथिलता प्रदान की है। प्रदेश में 157 निजी स्वामित्व के वेयरहाउस डब्ल्यूडीआरए से पंजीकृत हैं। उल्लेखनीय है कि निजी गौण मंडी के लिए 15 लाख रूपए की प्रतिभूति राशि और 5 हैक्टेयर भूमि की अनिवार्यता का प्रावधान है।

कोविड-19 महामारी के संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग की पालना और किसानों को खेत के नजदीक ही उनकी उपज बेचने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से इन निजी वेयरहाउस को निजी गौण मंडी घोषित किये जाने के संबंध में राजस्थान राज्य भंडार गृह व्यवस्था निगम की तर्ज पर प्रतिभूति राशि और भूमि की आवश्यकता संबंधी प्रावधानों में शिथिलता दी गई है।

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