राजस्थान स्ट्राइड वर्चुअल कॉन्क्लेव : विज्ञान और प्रौद्योगिकी से होगी ‘आत्मनिर्भर’ भारत के निर्माण की राह आसान, युवा ऊर्जा एवं अनुभव के मेल से दौड़ेगा विकास का पहिया
जयपुर, 30 मई।
केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने शनिवार को
राजस्थान स्ट्राइड वर्चुअल कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि भारत गुणवत्ता के
साथ आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो सकता है। इसके लिये
हमें विज्ञान एवंप्रौद्योगिकी का रास्ता अपनाना होगा और जुगाड़ से दूर जाना होगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी भारत को आत्मनिर्भर बनाने की राह को आसान करेगी।
उन्होंने अनुसंधान और विकास (आरएंडडी), आविष्कार, नवाचार, प्रोटोटाइप, स्टार्ट अप, बाजार और उद्योग की उपयोगिता पर जोर
देते हुए कहा कि भारत आरएंडडी में पीछे नहीं है क्योंकि पत्रिकाओं में शोध पत्र
प्रकाशित करने के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि
समस्या यह है कि आरएंडडी को बाजार में उत्पाद के रूप में उतारा नहीं जा रहा है।
प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि भारत का
सकारात्मक बिंदु इसका युवा कार्यबल है और हमारी आवश्यकता है कि हम अनुभव (बड़े
लोगों) के साथ ऊर्जा (युवा) को इस प्रकार से जोड़े कि विकास का पहिया पूरे वेग एवं
बल से दौड़ने लगे। उन्होंने कहा कि बाजार बहुत बड़ा है और विविधता से भरपूर है, बेहतर होगा कि इसे तेजी से समझा जाए और
इसका लाभ उठाया जाए। उन्होंने डाटा का महत्व भी बताया। आज के समय में यह एक कीमती
वस्तु है। प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि डेटा के बिना डिजिटल तकनीक बेकार है।
उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास बहुत
महत्वपूर्ण है, जिसके बिना अधिकांश वैज्ञानिक वैज्ञानिक
न रहकर मात्र अनुयायी बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और अभिभावकों को यह
देखना चाहिए कि बच्चे आत्मविश्वास न खोएं। उन्होंने उद्योग और शिक्षा के साथ मिलकर
काम करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि तकनीक और उत्पाद लोगों की प्राथमिकता से
मेल खाना चाहिए। समाज और मानवता के साथ नहीं जुड़े होने पर अधिकांश विज्ञान विफल हो
जाता है।
केन्द्रीय जैव प्रौद्योगिकी विभाग की
सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र की तैयारियों ने कई समस्याओं के
समाधान का अवसर दिया है। महामारी के 15 दिनों
में कई स्टार्ट-अप आए और कोविड-19
के दौरान 500 समाधान थे जिनमें ट्रैकिंग, टेस्टिंग किट आदि शामिल थे। टेस्टिंग
किट शुरू में आयात की जा रही थीं लेकिन अब 30 लाख
किट प्रति माह बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यकता के अनुसार 100 फीसदी स्वदेशी किट बनाए जाएंगे।
डॉ. स्वरूप ने विश्वास जताया कि जल्द ही
भारत प्रत्येक घटक में आत्मनिर्भर होगा। उन्होंने कहा कि हमें किसी का पिछलग्गू
बनने की आवश्यकता नहीं है। हमें स्टार्ट-अप को अपनाना चाहिये और अब यह टिकाऊ
अवधारणा बन रही है। उन्होंने कहा कि अब दुनिया भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप
में देख रही है।
केन्द्रीय उद्योग और आंतरिक व्यापार
संवर्धन विभाग (DIPIIT)
सचिव डॉ. गुरुप्रसाद
महापात्र ने स्टार्ट अप नीति के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार
स्टार्ट अप्स के साथ आने वालों की मदद के लिए सीड मनी और क्रेडिट गारंटी योजना
शुरू करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि कई स्टार्ट अप मल्टीनेशनल कंपनियों
के साथ मिल कर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बना रहे हैं, लेकिन
उन्हें बेचने के लिए बाजार नहीं मिलता है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य और केंद्र
को उन्हें बढ़ावा देने के लिए सरकारी दुकानों में जगह प्रदान करनी चाहिए।
डॉ. महापात्र ने कहा कि ई-कॉमर्स
कंपनियां तेजी से उभरती और विकासशील क्षेत्र हैं। वे महानगरों से टियर-प्और टियर-प्प्शहरों
में सामान और सेवाएं उपलब्ध कराने लगी हैं। उन्होंने कहा, ई-कॉमर्स पर एक नीति विकसित करने के लिए
एक मसौदे पर कार्य किया जा रहा है जिसे लोगों से प्रतिक्रिया और सुझाव लेने के लिए
सार्वजनिक डोमेन पर रखा जाएगा और फिर नीति की घोषणा की जाएगी।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग राजस्थान
सरकार की सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने वेबीनार में कहा कि आत्मनिर्भर (सेल्फ
रिलायंट) भारत के निर्माण में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग सबसे अहम है।
उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से देश में औद्योगिक उत्पादन को वैश्विक मापदण्डों के
अनुरूप बनाने के साथ-साथ रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर लक्ष्य को आसानी से अर्जित
किया जा सकता है।
श्रीमती सिन्हा ने कहा कि विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राजस्थान स्ट्राइड वर्चुअल कॉन्क्लेव
अपनी तरह का पहला आभासी सम्मेलन है।
STRIDE के संक्षिप्त रूप के बारे में बताते हुए
उन्होंने कहा कि ‘एस’ का
अर्थ विज्ञान, समाज और स्टार्ट अप है, ‘टी’ प्रौद्योगिकी
तथा प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिये प्रयुक्त हुआ है, ‘आर’ अनुसंधान
के लिए, ‘आई’ बौद्धिक
संपदा अधिकार, औद्योगिक डिजाइन और नवाचार के लिए, ‘डी’ डिजाइन, ड्रोन और विकास तथा ‘ई’ इंजीनियरिंग
और उद्यमिता को दर्शाता है।
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