केन्द्र सरकार के माध्यम से उपलब्ध हों टेस्टिंग किट, वेंटीलेटर एवं अन्य उपकरण - मुख्यमंत्री
जयपुर, 21 अप्रेल। मुख्यमंत्री श्री
अशोक गहलोत ने कहा कि कोविड-19
महामारी से लड़ने के लिए टेस्टिंग किट, वेंटीलेटर एवं अन्य मेडिकल उपकरण केन्द्र
सरकार द्वारा केन्द्रीयकृत खरीद कर राज्यों को उपलब्ध कराये जाने चाहिएं ताकि राज्य
सरकारों को इनकी खरीद में आसानी हो सके, राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा न हो और आईसीएमआर
की गाइडलाइन पर खरे उतरने वाले टेस्ट किट एवं उपकरण ही मिल सकें।
श्री गहलोत मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
के माध्यम से केन्द्र से आई पांच सदस्यीय टीम एवं प्रदेश के अधिकारियों के साथ चर्चा
कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मैंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के
साथ हुई वीसी के दौरान भी आग्रह किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान द्वारा चीन
से हाल ही में मंगवाये गये रेपिड टेस्ट किट का टेस्ट रिजल्ट ठीक नहीं आ रहा है। यह
हमारे लिए चिंता का विषय बना हुआ है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज एवं राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान
विश्वविद्यालय की एक रिसर्च टीम इसकी जांच कर रही है। इस जांच की रिपोर्ट एवं आईसीएमआर
की गाइडलाइन प्राप्त होने के बाद ही रेपिड टेस्ट किट के बारे में आगे फैसला लिया जा
सकेगा।
बिना देरी किये राज्यों को पैकेज दे केन्द्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महामारी का संक्रमण
रोकने के लिए राज्यों ने अपने संसाधन झोंक दिये हैं और लॉकडाउन के कारण राजस्व में
भारी कमी आने से अधिकतर राज्यों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में केन्द्र सरकार
को राज्यों को अनुदान के रूप में मदद पहुंचाने के लिए बड़े पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
आरबीआई की ओर से वेज एण्ड मीन्स एडवांस में 60 प्रतिशत की वृद्धि तो की गई है। लेकिन इसे ब्याज
मुक्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा राज्य सरकारों को उनके बकाया ऋण की आगामी किश्तों
पर तीन माह का मोरेटोरियम उपलब्ध कराया जाना चाहिए। राज्यों की उधार लेने की क्षमता
भी तीन से बढ़ाकर 5
प्रतिशत किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को
पत्र के माध्यम से एवं वीसी के दौरान इस संबंध में आग्रह किया जा चुका है।
जरूरतमंदों को दी ढाई-ढाई हजार रुपये की
अनुग्रह राशि
श्री गहलोत ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण को शुरूआती
दौर में ही रोकने के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र की घोषणा से पहले ही 22 मार्च को लॉकडाउन घोषित
कर दिया था। साथ ही रेहडी व ठेला चालक, रिक्शा चालक, असहाय, घुमन्तू एवं रोज कमा कर खाने वाले लोगों
के जीविकोपार्जन पर आये संकट को देखते हुए अनुग्रह राशि के रूप में ढाई-ढाई हजार रूपये
जरूरतमंद लोगों के खाते में डाले गये ताकि उनकी जरूरतें पूरी हो सकें। जिन लोगों के
बैंक खाते नहीं थे उन्हें कलेक्टर के माध्यम से नकद राशि दी गई। राज्य सरकार की ओर
से जरूरतमंद लोगों को राशन सामग्री किट एवं भोजन के पैकेट भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर खर्च होगा
विधायक कोष का पैसा
श्री गहलोत ने कहा कि विधायक कोष का पैसा
स्थगित करने के बजाय राज्य सरकार अगले दो साल तक कोविड-19 से लड़ने के लिए स्वास्थ्य
सेवाओं के सुधार पर खर्च करने की योजना बना रही है। हमारी सरकार सभी वर्गों की बेहतरी
के लिए प्रयासरत है और वंचित लोगों की सहायता के लिए हर संभव कदम उठा रही है,
लेकिन अर्थव्यवस्था को
पटरी पर लाने के लिए राज्यों को केन्द्र की ओर से मदद बिना किसी देरी के मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोविड-19
से लड़ते हुए हमारी सरकार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधारभूत
ढांचा मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। प्रदेश में लैब बढ़ाने, आईसीयू बैड बढ़ाने एवं वेन्टीलेटर की संख्या
बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। कोरोना संकट से निपटते हुए एक आपसी सहयोग की भावना भी
विकसित हुई है।
प्रवासी मजदूरों के बारे में संवेदनशीलता
दिखाये केन्द्र सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के कारण विभिन्न
राज्यों में अटके प्रवासियों एवं वहां रह रहे राजस्थानियों को एक बार अपने घर जाने
का मौका मिलना चाहिए। इस बारे में मैंने केन्द्रीय गृहमंत्री से फोन पर बात की है।
गृहमंत्री ने इस संबंध में सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा
कि राजस्थान सहित देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवासी श्रमिकों सहित अन्य लोग फंसे
हुए हैं। वे निराश एवं हताश हैं और एक बार अपने घर जाना चाहते हैं। ऐसे में उनके बारे
में संवेदनशीलता के साथ केन्द्र सरकार द्वारा उचित निर्णय लिया जाना चाहिए।
राज्यों को राशन का अधिक गेहूं जारी किया
जाए
श्री गहलोत ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम
के भंडार गेहूं से भरे हुए हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार ऐसे लोगों, जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं और जिनके
नाम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में नहीं हैं, उन्हें भी गेहूं उपलब्ध कराये ताकि किसी
को भी भूखा नहीं सोना पड़े। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान बढ़ी हुई मांग को देखते हुए राज्यों
को राशन का अधिक गेहूं जारी करने के प्रस्ताव पर भी सकारात्मक निर्णय लेने का आग्रह
केन्द्र सरकार से किया।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि केन्द्र सरकार
की ओर से भेजी गई टीम अपनी रिपोर्ट में इन सभी बिन्दुओं को भी शामिल करेगी। कोरोना
के संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा अभी तक किये गये प्रयासों को केन्द्रीय
टीम अपनी रिपोर्ट में शामिल करते हुए इस महामारी से लड़ने के लिए प्रदेश को केन्द्र
से अनुदान एवं अन्य संसाधन उपलब्ध कराने में सकारात्मक भूमिका निभायेगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में केन्द्रीय टीम
का नेतृत्व कर रहे केन्द्रीय वित्तीय सेवा विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री संजीव कौशिक,
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं
परिवार कल्याण मंत्रालय में निदेशक बिन्दु तिवारी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)
में कम्युनिटी मेडीसिन के प्रोफेसर डॉ. हर्षल साल्वे, एनडीएमए में संयुक्त सलाहकार श्री एसके जेना
एवं केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के उप सचिव श्री देवेन्द्र एस उइके शामिल
थे।
वीसी में राज्य सरकार की ओर से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
मंत्री डॉ. रघु शर्मा, मुख्य सचिव श्री डी.बी. गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह श्री राजीव स्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री रोहित कुमार
सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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