बुजुर्गों ने किए पहले ही दिन 150 से अधिक कॉल्स, काउन्सलिंग और त्वरित सहायता से बढ़ा विश्वास
- जिला प्रशासन एवं जे.के.लक्ष्मीपत
यूनिवर्सिटी का संयुक्त प्रयास
- चिकित्सा, राशन, दवा, वेतन कटौती, डिप्रेशन, दुव्यर्वहार सहित विविध कारणों से किए
फोन
जयपुर, 19 अप्रेल। जयपुर जिला प्रशासन द्वारा एवं
जे के लक्ष्मीपत यूनिवर्सिटी के सहयोग से बुजुर्गो के लिए समर्पित हेल्पलाइन “केयरिंग-शेयरिंग 7428518030” को
लांचिंग के बाद पहले ही शनिवार को बेहद उत्साहजनक रेस्पांस मिला। इसे 17 अप्रेल को जिला कलक्टर डॉ.जोगाराम
द्वारा लांच किया गया था। हेल्पलाइन
के नोडल अतिरिक्त जिला कलक्टर द्वितीय श्री पुरूषोत्तम शर्मा ने बताया कि
हेल्पलाइन पर पहले ही दिन सहायता के लिए 150 से ज्यादा बुजुर्गों या उनके परिचितों
ने सम्पर्क किया। चिकित्सा, भोजन,
डिप्रेशन, दवाइयां, राशन और ऎसी विविध प्रकार की सहायता की
अपेक्षा से किए गए इन कॉल्स को यूनिवर्सिटी के फैकल्टी एवं स्टाफ मेंबर्स ने पूरे
धैर्य से सुना एवं उनकी सहायता एवं काउन्सलिंग की।
श्री शर्मा ने बताया कि हेल्पलाइन पर
आने वाली हर कॉल को पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है और एक बार हेल्पलाइन नम्बर पर
कॉल आने के बाद उसे उसके समाधान तक फॉलो किया जा रहा है। यहां तक कि लांचिंग से
पहले बीटा वर्जन में ही हेल्पलाइन ने बुजुर्गो की सहायता प्रारम्भ कर दी थी आगे भी यह
प्रक्रिया इसी तरह जारी रहेगी एवं जिला स्तरीय विभिन्न विभागों से समन्वय बढाकर
इसे और मजबूत किया जाएगा।
सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार विभाग
जिला कलेक्ट्रेट के
उपनिदेशक श्री ऋतेश कुमार शर्मा ने बताया कि हेल्पलाइन पर आ रहे कॉल्स के डेटा का
संग्रहण कर विश्लेषण भी किया जाएगा एवं इस हेल्पलाइन को अन्य हेल्पलाइन नम्बर्स से
इंटीग्रेट करने का प्रयास भी किया जाएगा।
हेल्पलाइन के समन्वयक डॉ.उमेश गुप्ता ने
भी जिला प्रशासन को आश्वस्त किया है कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता,
जिला प्रशासन के
सहयोग से उनको हल करने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ.रोशन
लाल रैना ने पहले दिन के कार्य की समीक्षा की और सभी फेकल्टी और स्टाफ मेम्बर्स को
बधाई दी एवं जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया। प्रो. वाइस चांसलर श्री आशीष गुप्ता
और समर्थ संस्थान के
सीईओ श्री गौरव अग्रवाल ने इस हेल्पलाइन द्वारा निरंतर सहयोग जारी रखने का आश्वासन दिया।
हेल्पलाइन केयरिंग-शेयरिंग के जरिए बुजुर्गो को पहुंचाई गई सहायता
सेवानिवृत कर्नल को अटैक, पुत्रराज्य से बाहर, सहारा बनी हेल्पलाइन
हेल्पलाइन की विधिवत् लांचिंग शुक्रवार
रात को ही हुई थी। लेकिन इससे पूर्व ही हेल्पलाइन द्वारा अम्बाबाड़ी निवासी
सेवानिवृत कर्नल 84 वर्षीय
बुजुर्ग को
अटेक आने पर आपातकालीन परिस्थिति में मदद पहंचाई गयी। उनकी तबीयत खराब होने पर
राज्य से बाहर रह रहे उनके पुत्र ने डाक्क्टर को संपर्क किया तो डॉ ने तुरंत इन
बुजुर्ग के लैब परीक्षण की आवश्यकता बताई। इस पर पुत्र ने मदद के लिए ने हेल्पलाइन
पर संपर्क किया। हेल्पलाइन द्वारा शीघ ही पैथोलॉजी लैब से संपर्क कर यह सुनिश्चित
किया गया और उनके घर से तुरंत सैंपल लिए जा सकें और जल्द से जल्द इसके परिणाम मिल
सकें। इसके बाद लैब ने टेस्ट किए जिसमें थोड़ा इन्फेक्शन आया जिसकी दवाइयां शुरू कर
दी गई हैं। अब उनके पुत्र, जो
राज्य से बाहर हैं पूरी तरह संतुष्ट और हेल्पलाइन को सेवा के लिए धन्यवाद दे रहे
हैं।
वेतन काटे जाने से बुजुर्ग डिप्रेशन में,
काउन्सिंग से बढा
विश्वास
एक 68 वर्षीय कर्मचारी की खाना सप्लाई करने
वाली कम्पनी द्वारा उनके वेतन में कटौती के कारण वे परेशानी एवं डिप्रेशन में थे।
उसकी तुरंत काउन्सलिंग की गयी और बताया गया कि जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार के
निर्देशानुसार न तो उनके वेतन में कटौती की जा सकती है और न ही उन्हें नौकरी से
निकाला जा सकता है। उन्हें
आश्वासन दिया गया कि प्रशासन उनकी पूरी मदद करेगा। इस मामले के निराकरण के लिए
जिला प्रशासन द्वारा श्रम विभाग के ज्वांइट कमिश्नर को निर्देशित कर दिया गया है।
आधे घंटे में राशन की समस्या हल की,
आवास के लिए पेशकश
शनिवार प्रातः हेल्पलाइन पर यूनविर्सिटी
की स्टाफ मेम्बर श्रीमती निधि कच्छावा के पास एक पीड़ित बुजुर्ग महिला का फोन आया।
जिसने बताया कि वह एक थड़ी पर
अपने 4 वर्षीय
पुत्र के
साथ अकेली रह रही है और उसके पास राशन नहीं है। हेल्पलाइन द्वारा उसे आधे घंटे से
भी कम समय में भोजन पहुंचाने की व्यवस्था की गयी और आवास व्यवस्था के बारे में भी
पूछा गया। अब इस महिला का नियमित ध्यान रखा जायेगा। इसी प्रकार राशन न होने की कुछ और
समस्याओं को भी स्वयंसेवी संस्थाओं के
माध्यम से निस्तारण कराया गया।
हेल्पलाइन ने 97 वर्षीय दम्पत्ति की सात्विक भोजन की
मांग की पूरी
हेल्पलाइन पर एक कॉल ऐसा आया जिसमें 97 वर्षीय बुजुर्ग दम्पत्ति ने ऐसे गर्म एवं सात्विक भोजन की आवश्यकता बताई
जिसे वे आसानी से चबा सकें। हेल्पलाइन पर कार्य कर रहे जेकेएलयू के फैकल्टी श्री
जिवान्शु जैन ने तुरंत ऎसे भोजन की व्यवस्था एक भोजनालय से उनके लिए की। इसी
प्रकार भोजन के सम्बन्ध में कई बुजुर्गों को सहायता पहुंचाई गई।
डिप्रेशन पीड़ित बुजुर्ग ने कहा पार्क तक
जाना है, काउन्सलिंग
से माने
हेल्पलाइन द्वारा बुजुर्गों के लिए केवल
भोजन की ही नहीं, चिकित्सा
एवं मनोविज्ञान से जुड़ी कई तरह की शिकायतों और समस्याओं का निस्तारण भी हेल्पलाइन
के माध्यम से पहले ही दिन किया गया। यूनिवर्सिटी के स्टाफ मेम्बर श्री सामी उर
रहमान को कोरोना की आशंका के चलते आइसोलेशन में रह रहे एक 65 वर्षीय बुजुर्ग ने कॉल कर बताया कि वे 2001
से डिप्रेशन से पीड़ित
हैं। ये बुजुर्ग घर से बाहर पार्क तक जाना चाह रहे थे। उनका संपर्क संस्थान की
काउंसलिंग एजेंसी से करवाया गया जिसने बताया कि अभी पार्क तक जाना ठीक नहीं है,
इस पर वे मान गए एवं
आगे से उनकी नियमित काउंसलिंग की जाएगी।
कोरोना संदिग्ध की आशंका पर स्वास्थ्य
विभाग से दिलाई जानकारी
गीजगढ़ विहार में रहने वाले बुजुर्ग को
अचानक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हई। तुरंत डक्टर से संपर्क करवाया गया तथा यह
मालूम होने पर कि लक्षण कोरोना संदिग्ध के भी हो सकते है, तुरंत स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर
परिवार को इस हेतु आवश्यक जानकारी प्रदान की गयी। ऎसे ही एक और कोरोना संदिग्ध
होने की आशंका से डरे हए एक बुजुर्ग को काउंसलिग कर आवश्यक जानकारी प्रदान की गयी।
दिव्यांग बुजुर्ग ने मांगी ऑटो की
अनुमति, प्रशासन
से मिली सहायता
यूनिवर्सिटी के शौनक बिस्वास को एक
दिव्यांग बुजुर्ग ने फोन
कर अटो से सब्जी विक्रय का कार्य करने की जानकारी देते हुए मंडी तक वाहन ले जा
सकने के लिए मदद मांगी। इस पर श्री बिस्वास ने उसे प्रशासन के नियमों से आवेदन के लिए
काउन्सलिंग कर पास जारी करने की व्यवस्था कराई तथा भोजन सम्बंन्धी समस्या हल
कराईंं।
दवाएं घर-घर पहुंचाईं
हेल्पलाइन पर कई कॉल दवाएं उपलब्ध कराने
से सम्बन्धित थे। जरूरी दवाइयों की घर पर उपलब्धता को सुनिश्चत करने के लिए निकटतम
मेडिकल स्टोर एवं मेट्रो मास अस्पताल के माध्यम से दवाइयां घर पर पंहुचाई गईं।
घर जाने के लिए या बच्चों को बुलाने के
लिए आए कई कॉल
हेल्पलाइन पर ऎसे बुजुर्गों को समझाने
में अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ी जिनके परिवार वाले किसी कारणवश लॉकडाउन में बाहर
रह गए या ये बुजुर्ग जयपुर आये और यहीं रह गए। इन सभी बुजुर्गो की मांग थी कि उन्हें परिजनों तक
पहुंचाने की व्यवस्था की जाये अथवा बाहर अटक गए परिजनों को जयपुर वापस बुलाने की
व्यवस्था की जाए। इन बुजुर्गो
को कोरोना महामारी की
भयावहता के बारे में समझाते हए संतुष्ट करने का प्रयास किया गया।
बेटे से व्यवहार से दुखी होकर किया कॉल,
45 मिनिट की काउंसलिंग
से मिली राहत
संस्थान की फैकल्टी डॉ. उपासना सिंह ने बताया कि
एक बुजुर्ग पीड़ित अपने घर में ही अपने पुत्र द्वारा कोई ध्यान नहीं दिए जाने को लेकर अपने आंसुओं को
नहीं छिपा पा रहे थे। लगभग 91 वर्ष
के इन बुजुर्ग
ने करीब 45 मिनिट
तक डॉ, सिंह से बात की और अपने दुखों को साझा कर मन को शांत
किया। डॉ.सिंह ने पूरे धैर्य से उनको सुनते हुए उनकी काउंसलिंग की। उनके दो बेटों
में से एक बाहर है और दूसरा ध्यान नहीं रख रहा था। हेल्पलाइन द्वारा उनके लिए
निःशुल्क राशन की व्यवस्था कराई गई।
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