कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने लॉकडाउन के दौरान खराब होने वाले उत्पा0दों के अंतर-राज्यींय परिवहन के लिए अखिल भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेंटर नम्बार 18001804200 और 14488 लॉन्चि किए
नई
दिल्ली, 15 अप्रेल। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह
तोमर ने कोविड-19
के खतरे के कारण जारी लॉकडाउन की मौजूदा परिस्थिति के दौरान खराब
होने वाले उत्पादों को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने के लिए आज कृषि भवन
में आयोजित एक समारोह में अखिल भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेंटर लॉन्च किया। इस कॉल
सेंटर के नम्बर 18001804200 और 14488 हैं। इन नम्बरों पर दिन या रात को किसी भी समय मोबाइल या लैंडलाइन फोन
से कॉल किया जा सकता है।
24x7
सेवा प्रदान करने वाला यह अखिल भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेंटर
खराब होने वाले सब्जियों और फलों, बीज, कीटनाशक और उवर्रक आदि जैसे कृषि उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान
पर भेजने के लिए राज्यों के बीच अंतर-राज्यीय सहयोग के लिए कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसीएंडएफडब्ल्यू) भारत सरकार की एक
पहल है।
कृषि, बागवानी या बीज और उर्वरकों के अलावा अन्य खराब होने वाली वस्तुओं को
एक से दूसरे राज्य में भेजने में कठिनाइयों का सामना कर रहे ट्रक चालक और सहायक,
व्यापारी, खुदरा व्यापारी, ट्रांसपोर्टर्स, किसान, विनिर्माता या अन्य हितधारक इस कॉल सेंटर पर सम्पर्क करके मदद मांग
सकते हैं। कॉल सेंटर एक्जीक्यूटिव्स राज्य सरकार के अधिकारियों को मसलों को
सुलझाने में सहायता करने के साथ-साथ वाहनों और खेप के विवरण उपलब्ध कराएंगे।
इफ्को
किसान संचार लिमिटेड (आईकेएसएल) की ओर से फरीदाबाद, हरियाणा
में उसके कार्यालयों से परिचालित इन कॉल सेंटर लाइन्स द्वारा शुरूआत में 10
कस्टमर्स एक्जीक्यूटिव्स द्वारा चौबीसों घंटे 8-8 घंटे की तीन पालियों में सेवाएं प्रदान की जाएगी। कॉल सेंटर सेवा को 20
सीट आधारित आवश्यकताओं की पूर्ण क्षमता तक विस्तारित किया जा
सकता है। कॉल सेंटर एक्जीक्यूटिव्स हर प्रकार की समस्या के निपटान के रिकॉर्ड
को बरकरार रखेंगे और उसे सत्यापित करेंगे।
अखिल
भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेंटर के लॉन्च के अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री परुषोत्तम रुपाला और श्री कैलाश
चौधरी, सचिव (एसी एंड एफडब्ल्यू) श्री संजय अग्रवाल और
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। यह 24x7 कॉल सेंटर
डीएसीएंड एफ डब्ल्यू द्वारा लॉकडाउन की अवधि के दौरान फील्ड स्तर पर किसानों
और खेतीबाड़ी की गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए किए गए विविध उपायों में से एक है।
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